कांड्रा- Bipin varshney: सरायकेला-खरसावां जिले की जानलेवा सड़कों पर हर वक्त मौत का खतरा राहगीरों पर बना रहता है. मौत चाहे गाड़ियों के टकराने से हो या फिर खड़ी गाड़ियों में टकराकर हो, किसी भी रूप में मौत आ सकती है.
यहां हम जो तस्वीर आपको दिखा रहे हैं उसे जरा गौर से देखिए, क्योंकि मौत अब सड़क से नहीं आसमान से भी आने वाली है. जी हां गौर से देखिए कांड्रा-चौका- चांडिल मुख्य मार्ग पर कांड्रा बाजार के मुख्य सड़क पर. सड़क निर्माता कंपनी जेआरडीसीअल द्वारा लगाए गए स्ट्रीट लाइट को. जिसका एक हिस्सा हवा में झूल रहा है. जो कभी भी मौत का कारण बन सकता है.
कांड्रा में सड़क निर्माता कंपनी जेआडीसीएल की ओर से लगाए गए स्ट्रीट लाइट इन दिनों राहगीरों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है.वैसे जेआरडीसीएल की ओर से क्षेत्र में लगाए गए ज्यादातर स्ट्रीट लाइट महज शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं. कुछ लाइटें जलती हैं, तो ज्यादातर खराब पड़े हैं.
15 दिनों से यह मौत राहगीरों के सर पर नाच रही है. जिसकी जानकारी प्रशासन से लेकर सड़क निर्माता कंपनी के अधिकारियों को भी है. बावजूद इसके किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रही है. समय रहते अगर इसे दुरुस्त नहीं किया गया तो कभी भी एक और हादसा हो सकता है. इसके शिकार आम से लेकर खास भी हो सकते हैं.
ऐसे में किस बात का टोल राहगीर दे यह सोचने का विषय है. आपको बता दें कि सरायकेला जिला में प्रवेश करने पर कांड्रा गिद्दीबेड़ा टोल प्लाजा, कांड्रा टोल प्लाजा, आदित्यपुर टोल प्लाजा और सरायकेला-चाईबासा मार्ग पर एक और टोल प्लाजा कुल चार टोल टैक्स जमा कर अगर राहगीरों को खतरों से खेलकर सफर करना पड़े तो फिर टोल क्यों ? गिद्दीबेड़ा टोल ब्रिज से लेकर सरायकेला और कांड्रा से लेकर गम्हरिया की ओर रात के वक्त जाने में अंधेरा ही अंधेरा मिलेगा.कांड्रा- टाटा मार्ग पर आधे से अधिक सफर आपको बगैर स्ट्रीट लाइट के ही तय करने पड़ेंगे. जबकि हर दिन सड़क दुर्घटनाएं जिले के लगभग सभी मार्गों पर आम हो चले हैं.