चांडिल (Team Inv) संयुक्त ग्राम सभा मंच के तत्वाधान में दलमा इको सेंसेटिव जोन के मुख्य द्वार पर चंपा व रजनी (हथनी) के भोजन, स्वास्थ्य व जंजीर से आजादी को लेकर गांव- गांव में जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है.
दलमा पहाड़ के तराई क्षेत्र शहर बेड़ा गांव के परंपरागत ग्राम प्रधान मान सिंह मार्डी के नेतृत्व में ग्रामीणों से चंपा व रजनी के सवालों को लेकर संवाद किया गया. परंपरागत ग्राम प्रधान मानसिंह मार्डी ने कहा कि वन विभाग के डीएफओ व रेंजर के मिलीभगत से इको सेंसेटिव जोन के नाम पर वन्य प्राणी अश्राणियों के अभ्यारण्य के नाम पर जो पैसा आ रहा उसमें लूट- खसोट मचा हुआ है. जिसका परिणाम है, कि चंपा व रजनी का स्थिति दिनों- दिन खराब होती जा रही है. चंपा व रजनी को देखने से पता चलता है, कि अब ये लोग तो इनके हिस्से का भोजन तक खा रहे हैं.
शहरबेड़ा के नौजवान विजय तंतुबाई ने बताया कि संयुक्त ग्राम सभा के साथियों का वन्य प्राणियों से प्रेम है, चंपा व रजनी के साथ सेल्फी लेने वाले लोग तो बहुत हैं, लेकिन हमारे शुकलाल पहाड़िया व अनूप महतो की तरह बहुत कम लोग देखने को मिलते हैं कि उनके स्वास्थ्य व भोजन के सवाल को लेकर चिंतित हैं. हम सब नौजवान इस मुहिम में आपके साथ हैं, क्योंकि वन्य प्राणी का दर्द वही समझ सकता है जो इनके बीच पला बढ़ा है.
वहीं संयुक्त ग्राम सभा मंच के संयोजक अनूप महतो ने कहा कि हम आदिवासी- मूलवासी कृषि व प्रकृति से अपना जीवन यापन करते हैं, एवं कृषि से जो फसल उपजाते हैं उसका पहला हिस्सा हम जीव- जंतुओं को देते हैं, उसके बाद जो उनसे बचता है उसे हम समेट कर घर लाते हैं. ऐसा हमारे पूर्वजों से लेकर अब तक के पीढ़ी इन जीव जंतुओं के लिए करता आया है. हम आदिवासी- मूलवासी इस देश के मालिक हैं, फिर हमारे जीव- जंतुओं के ऊपर अत्याचार करने का हक इस वन विभाग के पदाधिकारियों को कौन देता है ? हम सरकार से मांग करते हैं कि चंपा व रजनी के इस हालात के लिए जो भी जिम्मेदार है, वक्त रहते हुए उस पर कठोर से कठोर कार्रवाई करें अन्यथा वृहद पैमाने पर आंदोलन चलाया जाएगा.
संयुक्त ग्राम सभा मंच के संयोजक सह पूर्व दलमा क्षेत्र ग्राम सभा सुरक्षा मंच के सचिव शुकलाल पहाड़िया ने बताया कि किस तरह से दलमा पहाड़ में रहने वाले आदिवासी- मूलवासी के ऊपर इको सेंसेटिव जोन घोषित होने के बाद हमारे हक अधिकार व हमारी संस्कृतियों पर हमला किया गया. जिसका गवाह मैं हूं. जब हम आदिवासियों- मूलवासियों ने अपने हक व अधिकार को बचाने के लिए आवाज उठया तो हम आदिम जनजातियों को सलाखों के पीछे साजिश के तहत बंद कर दिया गया था.
आज जब हम चंपा व रजनी को देखते हैं तो हमें लगता है कि ये सिर्फ हमारे आदिवासी- मूलवासियों पर ही हमला नहीं था ये हमारे बीच रहने वाले वन्य प्राणियों पर भी हमला है. आज दलमा इको सेंसेटिव जोन के नाम पर जो फंड आता है उसका कोई भी फायदा यहां रहने वाले आदिवासी- मूलवासियों को नहीं मिल पा रहा है, बल्कि उस फंड का बंदरबांट हो रहा है. हम पूछना चाहते हैं यहां के वन विभाग के पदाधिकारियों से चंपा व रजनी के हिस्से का भोजन कौन खा रहा है ? इनके गिरते स्वास्थ्य के लिए जिम्मेवार कौन है ? डीएफओ जो अखबार में बयान जारी करता है, कि चंपा 58 वर्ष की है और रजनी 13 वर्ष की है, तो इसे जंजीरों में कैद करके रखने का अधिकार इन्हें कौन देता है ? क्या चंपा व रजनी को जंजीर में कैद करके रखने से पहले दलमा पहाड़ में रहने वाले परम्परागत ग्राम सभा से कोई अनुमति ली है ? अगर नहीं ली है तो ये भी एक तरह से ग्राम सभा का उल्लंघन ही है. क्या दलमा पहाड़ में वन्य प्राणियों को स्वतंत्र घूमने का अधिकार नहीं है ? आखिर ये कौन लोग होते हैं जो हमारे प्रकृति के साथ रहने वाले इंसानों से लेकर वन्य प्राणियों के साथ खिलवाड़ करते हैं. आज हमारे देश में वन्य प्राणियों व पर्यावरण को लेकर बड़े- बड़े आयोजन तो होते हैं, जहां हमारे नेता व बुद्धिजीवी बड़ी बात तो करते हैं, लेकिन चंपा व रजनी को जंजीरों में कैद करके रखा गया इस पर चुप्पी साधे हुए हैं, क्योंकि चंपा, रजनी एवं उनके वंशज उन्हें वोट नहीं करेंगे. जो बोल नहीं सकते हैं, जो अपनी दर्द किसी के साथ साझा नहीं कर सकते हैं, उसके पक्ष में बोलने से हमारे सभ्य समाज के तथाकथित इंसान कतराते हैं. हम देखते हैं कि हमारे सभ्य समाज के तथाकथित इंसान चंपा व रजनी के पास पहुंच कर सेल्फी तो लेते हैं, लेकिन उनकी गिरती स्वास्थ्य व्यवस्था व उनको जंजीर में कैद रहने के वाबजूद उनका दिल नहीं सिहरता है. हम जानना चाहते हैं ये कौन लोग हैं जो अपनी आंखों के सामने एक प्रताड़ित जानवरों को देखते हुए सेल्फी लेने में मशगूल हैं.
चंपा व रजनी को जंजीरों में कैद देखने के बाद तो यही लगता है कि इस देश के अंदर वन्य प्राणियों के लिए जो कानून बना है वो सिर्फ संविधान के किताबों के पन्नों में ही सिमट कर रह गया है.
संयुक्त ग्राम सभा के मंच से चंपा व रजनी को जंजीरों से आजाद करने, चंपा व रजनी के हिस्से के भोजन का हिसाब सार्वजनिक करने व उनके स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है उस पर जांच करते हुए कठोर से कठोर कार्रवाई करने की मांग की.
*संवाद में शामिल थे*
चंद्रभूषण सिंह, मास्को मुर्मू, पंकज हेम्ब्रम, विजय तंतुबाई, बिमल टुडू, सुनिल मार्डी, बुधूराम मुर्मू, रवि मुर्मू आदि मौजूद थे.