जमशेदपुर: वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के संक्रमण के दूसरे लहर का साइड इफेक्ट सामने आने लगे हैं. राज्य में जहां चिकित्सकीय हालात चरमरा चुके हैं.
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वहीं रोजगार के अवसर पर भी खतरा मंडराने लगे हैं. केंद्र और राज्य सरकार भले आर्थिक नुकसान को पाटने का दावा कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं.
निजी सेक्टर खासकर छोटे उद्यमियों की तो इस महामारी ने कमर तोड़कर रख दी है. ऑटो चालक, टैक्सी चालक, मिनी बस चालक, प्राइवेट टैक्सी- टेम्पो चालक, रेहड़ी- ठेला खोमचा विक्रेताओं से लेकर हर छोटा कारोबारी बेहाल नजर आने लगा है. इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित लोन पर गाड़ियां लेनेवाले कॉमर्शियल टैक्सी चालकों का है.
एक स्टेट के परमिट पर इनके लिए काम करना दुश्वार हो रहा है. कस्टमर प्राइवेट गाड़ियों से ही आवागमन कर रहे हैं. कई- कई दिनों से इनके पास बुकिंग नहीं हैं. दूसरे स्टेट के लिए इन्हें राज्य सरकार की ओर से परमिट नहीं मिल रहा है आलम ये है, कि इनके बैंक का लोन एनपीए हो रहा है.
फाइनेंसर गाड़ियां छीनने की धमकी दे रहे हैं. इन कमर्शियल टेंपो- टैक्सी चालकों के समक्ष भुखमरी की स्थिति आन पड़ी है.
अपनी गाड़ी बचाने की जद्दोजहद में संक्रमण के खतरे को भूल अभी भी सड़कों पर निकल रहे हैं, लेकिन ग्राहकों के अभाव में दिनभर ये सड़कों की खाक छान रहे हैं.
सरकार की ओर से इन्होंने उम्मीद की आस लगभग त्याग दी है.
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