सोनुआ (Jayant Pramanik) राज्य के हर जिले में कम से कम 10 से 15 हज़ार कर्मी हैं. आप चाहे किसी भी विभाग के अधिकारी या कर्मचारी हो, राज्य सरकार के अंग के रूप में कार्य कर रहे हैं, आप पढ़े लिखे हैं, आप में दक्षता की कोई कमी नहीं है. झारखंड के भौगोलिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति से भी भलीभांति वाकिफ हैं. अगर आप अपनी जिम्मेदारियों को चुनौती के रूप में स्वीकार कर कार्य करेंगे तो निश्चित तौर पर बेहतर नतीजे आएंगे और यह इस राज्य के विकास और यहां के निवासियों के हित में होगा. मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने चाईबासा में पश्चिमी सिंहभूम और सिमडेगा जिले में संचालित विकास कार्यों और कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा के दौरान अधिकारियों को कई निर्देश दिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड एक आदिवासी और दलित बहुल राज्य है. इनके साथ यहां के किसानों, मजदूरों, दिव्यांगों, बुजुर्गों, महिलाओं, नौजवानों समेत कमजोर और वंचित वर्ग को आगे बढ़ाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. इस सिलसिले में कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. इन योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराने की दिशा में अधिकारी पूरी संवेदनशीलता के साथ कार्य करें, तभी हम अपने लक्ष्यों और उद्देश्यों को हासिल कर सकेंगे. पंचायत और प्रखंड से लेकर मुख्यालय स्तर तक में कई योजनाओं को लेकर कई बार कन्फ्यूजन की स्थिति बन जाती है. अगर इस प्रकार के कन्फ्यूजन पैदा होते हैं तो उसका समाधान भी है. अगर किसी को किसी योजना को लेकर किसी तरह का संशय हो तो वह अपने वरीय अधिकारी या विभाग को इसकी जानकारी दें. सरकार की कोशिश है कि हर योजना का क्रियान्वयन धरातल पर बेहतर तरीके से हो.
पद से अलग हटकर थोड़ा ज्यादा मेहनत करने की है जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में खनिज समेत तमाम संसाधन मौजूद है, जो इस राज्य को विकास के रास्ते पर आगे ले जा सकता है फिर भी झारखंड देश के पिछड़े राज्यों में गिना जाता है. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि झारखंड के चरित्र को देखते हुए आपको अपने पद से थोड़ा अलग हटकर लोगों के साथ मिल बैठकर कार्य करने की जरूरत है. इस राज्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए थोड़ा ज्यादा मेहनत करें, तभी हम अपनी सकारात्मक सोच को यथार्थ में परिवर्तित कर सकते हैं.
बैंकों का नहीं मिल रहा अपेक्षित सहयोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास के लिए बैंकों का सहयोग काफी मायने रखता है लेकिन, यहां बैंक सरकार को आशा अनुरूप सहयोग नहीं कर रहे हैं. कई योजनाओं में सरकार खुद गारंटर है, फिर भी यहां के लोगों को उसका लाभ नहीं मिल रहा है. ऐसी स्थिति में अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों और कार्यों को गति देना होगा. इसके लिए सरकार अपने स्तर पर हर संसाधन उपलब्ध कराएगी.
दोनों जिले नक्सल प्रभावित है, विकास को तेज करने की ज्यादा जरूरत
मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिमी सिंहभूम और सिमडेगा जिले में नक्सल गतिविधियां थोड़ी ज्यादा है. ऐसे में यहां विकास को और तेज करने की जरूरत है. नौजवानों को रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ने में अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को निभाएं, ताकि वे भटकाव के रास्ते पर ना जाएं. इसके साथ इन इलाकों में बेहतर पुलिसिंग और स्वास्थ सुविधाओं को और मजबूत करें. कई बार मरीजों को चारपाई या किसी अन्य तरीके से घंटों पैदल चलकर अस्पताल ले जाने की खबरें सुनने को मिलती है. यह काफी चिंता की बात है. ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो, इसका अधिकारी पूरा ख्याल रखें. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, सर्वजन पेंशन योजना, प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना, मनरेगा अन्तर्गत मानव दिवस सृजन, राजस्व न्यायालय, आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार, जिले में चल रही विभिन्न परियोजनाओं एवं जिलों के विधि-व्यवस्था की समीक्षा की.
बैठक में मंत्री सत्यानंद भोक्ता, मंत्री बादल पत्रलेख, जोबा मांझी, चाईबासा विधायक दीपक बिरुआ, मझगांव विधायक निरल पूर्ति, चक्रधरपुर विधायक सुखराम उरांव, जगन्नाथपुर विधायक सोनाराम सिंकू, कोलेबिरा विधायक नमन बिक्सल कोंगाड़ी, सिमडेगा विधायक भूषण बारा, विधायक खरसवां दशरथ गागराई, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, डीजीपी नीरज सिन्हा, सचिव विनय चौबे, सचिव अबू बकर सिद्दीकी, सचिव अमिताभ कौशल, सचिव कृपानंद झा, सचिव प्रशांत कुमार, सचिव के श्रीनिवासन, आयुक्त दक्षिणी छोटानागपुर प्रवीण कुमार टोप्पो, आयुक्त कोल्हान मनोज कुमार, डीआईजी दक्षिणी छोटानागपुर अनीश गुप्ता, डीआईजी. कोल्हान अजय लिंडा, उपायुक्त, पश्चिम सिंहभूम अनन्य मित्तल, पुलिस अधीक्षक पश्चिम सिंहभूम आशुतोष शेखर, उपायुक्त सिमडेगा श्रीमती आर रॉनीटा, पुलिस अधीक्षक सिमडेगा सौरभ, सिमडेगा एवं पश्चिमी सिंहभूम जिला के पदाधिकारी उपस्थित रहे.