चांडिल: चांडिल बांध स्थल पर विस्थापित मुक्ति वाहिनी की बैठक में झारखंड सरकार के पर्यटन विभाग के निर्णय का कड़ा विरोध किया गया. सरकार ने चांडिल बांध में नौका विहार का संचालन अधिकार विस्थापितों की सहकारी समिति के बजाय गिरिडीह की एक निजी एजेंसी को सौंप दिया है, जो पुनर्वास नीति 2012 के प्रावधानों का उल्लंघन है.


विस्थापित मुक्ति वाहिनी ने कहा कि पुनर्वास नीति में स्पष्ट रूप से लिखा है कि जलाशय क्षेत्र के मत्स्य उद्योग एवं पर्यटन उद्योग में विस्थापितों को संबद्ध किया जाएगा. विस्थापितों के हक को सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने पुनर्वास नीति घोषित की है, लेकिन सरकार अब विस्थापितों के अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है. बैठक में निर्णय लिया गया कि विस्थापितों के अधिकारों पर किसी भी प्रकार के हमले का सड़क से लेकर न्यायालय तक विरोध किया जाएगा. आगामी 30 अप्रैल को शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के पश्चात अधिकारियों को विस्थापितों की मांगों से अवगत कराया जाएगा. विस्थापितों की मांग है कि वन अधिकार कानून का सही तरीके से अमल किया जाए, हाथियों द्वारा किए जा रहे उत्पात को रोका जाए, प्रदूषण की समस्या का समाधान किया जाए और पुनर्वास कार्य को जल्द से जल्द पूरा किया जाए. बैठक में श्यामल मार्डी, अंबिका यादव, नारायण गोप, किरण बीर, ईश्वर गोप, पंचानन महतो, देवेन महतो, बासु घुनिया, डोमन बासके और अरविंद अंजुम आदि शामिल थे.
