चांडिल/ सरायकेला- खरसावां जिला के चांडिल प्रखंड क्षेत्र के गांगुडीह फुटबॉल मैंदान में रविवार को संयुक्त आदिवासी सामाजिक संगठन चांडिल अनुमंडल द्वारा आदिवासी आक्रोश जनसभा का आयोजन किया गया. आक्रोश जनसभा में चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के अलावा बोड़ाम, पटमदा, गम्हारिया, घाटशीला, सरायकेला, राजनगर, कुचाई, खरसावां, बुंडू , तमाड़, रांची, पुरूलिया, बाघमुंडी आदि क्षेत्र से आदिवासी समाज के महिला पुरूष पारंपरिक वेशभूषा में शक्ति प्रदर्शन करते हुए आक्रोश रैली निकालकर जनसभा तक पहुंचे.
वहीं आक्रोश जनसभा में आदिवासियों ने हुंकार भरी और कुड़मी को एसटी का दर्जा देने की मांग का विरोध किया. वक्ताओं ने कहा कि कुड़मियों द्वारा आदिवासियों के हक और अधिकार को गहरी साजिश के तहत छीनने का षडयंत्र रचा जा रहा है. कुडमियों द्वारा आदिवासी वीर शहीदों को अपना बताकर इतिहास के साथ छेड़छाड़ किया जा रहा है. वक्ताओं ने कहा केन्द्र सरकार अगर कुड़मी समुदाय को एसटी में शामिल करती है तो मूल आदिवासीयों के हक, अधिकारों व राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर कुड़मियों का कब्जा होगा. वक्ताओं ने आगे कहा कुड़मी लोगों का नजर अब आदिवासियों की जमीन जायदाद पर टिकी है. साथ ही आदिवासियों के संवैधानिक पद वार्ड सदस्य, मुखिया, पंसस से लेकर एमएलए व एमपी को हाईजेक करने की मंशा है. जिसे आदिवासी समाज कतई बरदाश्त नहीं करेगा.
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पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने कहा आदिवासी जन्म से होता है बनाए नही जाते. जन्म, विवाह , मरण, सभी प्रक्रिया निभाया जाता है. आदिवासी समाज के हित के लिए आवाज उठाती हूं और उठाती रहूंगी.
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गीताश्री उरांव (पूर्व मंत्री)
जिप सदस्य लक्ष्मी सरदार, राधा कृष्ण मुंडा द्वारा अनयुक्त रूप में कहा कि हमारे साथ 32 जनजाति के लोग एक साथ है. एक तीर एक कमान हम सब आदिवासी एक समान के नारे से पूरा मैदान गूंज उठा. झारखंड राज्य छोड़ कर नही जायेंगे. पहले अंग्रेजों ने डराया था, अब कुड़मी हमे डराने का काम कर रहे हे. इसी जगह पर रहकर लड़ाई लड़ेंगे. कुड़मी समाज 1972 की जनगणना में कुर्मी जाति है. छोटानागपुर , गुजरात और महाराष्ट्र से आकर झारखंड में बसे है. इन लोगो का डीएनए का टेस्ट करने से पता चलेगा. इनके अलावा सभा को लक्ष्मी नारायण सिंह, राधा कृष्ण मुंडा, ज्योति महाली ने भी सम्बोधित किया.
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लक्ष्मी सरदार
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ज्योति महाली
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राधा कृष्ण मुंडा
झारखंड में आदिवासी और कुड़ियों की अस्तित्व की लड़ाई शुरू हो गई है. कुर्मी आदिवासी बनना चाहता है और अपने अधिकार की मांग को लेकर कभी रेल चक्का जाम तो कभी जिला मुख्यालय पर धरना- प्रदर्शन कर रहा है. वही आदिवासी समाज कुर्मी को आदिवासी मानने को तैयार नहीं है. वैसे आज चांडिल डैम परिसर में आदिवासी समाज के लोगों ने महासभा का आयोजन किया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव उपस्थित हुई. वही इस जनसभा में आदिवासी अपने हक और अधिकार की लड़ाई कैसे लड़े यह रणनीति बनाया गया. गीताश्री उरांव ने युवाओं में जोश भरते हुए कहा कि कुर्मी जाति को हिंदू का दर्जा दिया गया है वह आदिवासी कभी हो ही नहीं सकता. ऐसे में जबरन हमारे अधिकार को छीनने का प्रयास ना करें. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमारे ही बीच के कुछ लोग हमें अपने अधिकार से वंचित करने में लगे हैं. वही एक सवाल के जवाब में गीताश्री उरांव ने राज्य सरकार को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का चुप्पी बहुत कुछ कहता है. इस दौरान आदिवासी समाज के लोगों ने पारंपरिक हथियारों का जोरदार प्रदर्शन किया.