चांडिल : भारत की प्रसिद्ध एवं ख्याति प्राप्त बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड कंपनी के साख पर इन दिनों बट्टे लग रहे हैं. एक समय हुआ करता था, जब अच्छी क्वालिटी के स्पंज आयरन उत्पादन, प्रदूषण रहित क्षेत्र स्थापित करने एवं सीएसआर का सदुपयोग करने के इस कंपनी को जाना जाता था, परंतु वर्तमान में जो दृश्य देखने को मिल रहा है, उसके बाद यही कहा जा सकता है कि यह कंपनी गलत हाथों में चली गई हैं. 1980 के दशक में स्थापित यह कंपनी काफी प्रसिद्ध है. यह जर्मन टेक्नोलॉजी की पहली स्पंज आयरन कंपनी है, जो भारत में स्थापित की गई है. विभिन्न कारणों से 2012 में कंपनी बंद हो गई, जिसके बाद अब सालभर पहले फिर से चालू हुई है.
अपनी आर्थिक परेशानियों और अन्य मजबूरी के कारण कंपनी के मालिक मोदी साहब ने बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड को किराए पर दे दिया है. प्लांट को आधुनिक पावर कंपनी की इकाई बनराज स्टील ने किराए पर ली है और अब उत्पादन कर रही है. फिलहाल कंपनी का संचालन बनराज स्टील ही कर रही है. जब से बनराज स्टील ने कंपनी का संचालन शुरू किया है, तभी से विवाद उत्पन्न होना शुरू हो गया है.
अब तक बकायेदारों के पैसे डुबाने, स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं देने, व्यापक पैमाने पर प्रदूषण फैलाने, कंपनी का सही ढंग से मेंटेनेंस नहीं करने का आरोप लगता रहा. कंपनी के पुराने कमर्चारियों का मानना है कि सही ढंग से प्लांट का मेंटेनेंस नहीं करने और प्लांट मानकों का पालन नहीं करने के कारण कई मजदूरों की जान भी जा चुकी है. कई घटनाएं भी हुई हैं. जब तक कंपनी को स्वयं मोदी साहब चला रहे थे, तब तक किसी तरह की बड़ी दुर्घटना नहीं घटी और प्रदूषण नियंत्रण में रहा. आसपास के ग्रामीण बताते हैं कि पिछले 25 वर्षों में जितना प्रदूषण नहीं हुआ था, बनराज स्टील ने एक साल में ही क्षेत्र को बर्बाद कर दिया है.
अब बनराज स्टील प्रबंधन ऐसे काम कर रहा है, जिसके चलते कंपनी के खिलाफ कभी भी कानूनी कार्रवाई हो सकती है. वहीं, सीएसआर फंड का उपयोग भी नहीं किया जा रहा है. नेशनल हाईवे से प्लांट तक जाने के लिए कंपनी का अपना कोई रोड नहीं है, ग्रामीण सड़क को ही उपयोग करती हैं. सड़क के बीच में सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना का कैनाल (बाईं नहर) है, जिसमें एक साधारण पुलिया है. नेशनल हाईवे से प्लांट तक बड़े एवं भारी वाहनों का आवागमन होता है. उन वाहनों में टन के हिसाब से कच्चे माल होते हैं. भारी वाहनों के आवागमन के कारण न केवल ग्रामीण सड़क बर्बाद हो चुकी है, बल्कि सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना द्वारा निर्मित कैनाल भी क्षतिग्रस्त होने लगा है.
कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
प्लांट से नेशनल हाइवे तक जाने वाली सड़क के बीच से कैनाल है. कैनाल पर जो पुलिया है वह जर्जर हालत में है. इस सड़क से होकर ग्रामीणों का आवागमन होता है. वहीं, दयावती मोदी पब्लिक स्कूल की बसें चलती चलती हैं. बसों में विद्यार्थियों की भीड़ होती है. यदि निकट भविष्य में पुलिया धराशायी हो जाती है तो किसी तरह का बड़ा हादसा हो सकता है. पुलिया के धराशायी होने पर दर्जन भर गांव के हजारों लोगों का मुख्य सड़क से संपर्क टूट जाएगा.
ग्रामीणों की मांग को अनसुना कर देती है कंपनी
नेशनल हाईवे से प्लांट तक जाने वाकई सड़क के जर्जर हालत और जर्जर पुलिया को मरम्मत करने के लिए ग्रामीणों द्वारा कई बार मांग की है. ग्रामीणों ने बिहार स्पंज आयरन लिमिटेड तथा बनराज स्टील दोनों ही प्रबंधन से सड़क एवं पुलिया की मरम्मत करने की मांग कर रखी है, लेकिन ग्रामीणों की मांग को अनसुना कर दिया जाता हैं. जब ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता है तो आश्वासन देकर शांत करा दिया जाता है, लेकिन उनकी मांग को पूरा नहीं किया जाता है.