चांडिल / Sumangal Kundu, सुदूवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास परियोजना के तहत गांव में आंगनबाड़ी केन्द्र का संचालन जन्मजात शिशु, महिलाओं के स्वास्थ्य एवं शिक्षा के लिए ग्रामीण क्षेत्र में संचालन किया जाता है. सरकार की ओर से एक आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे को शिक्षित करने के लिए एक सेविका तथा खाना खिलाने के लिए संयोजिका को नियुक्त स्थाई रूप में किया जाता हे. आमसभा के माध्यम से चयन की प्रक्रिया पूरी की जाती है. सराइकेला-खरसावां जिला के चांडिल अनुमंडल मुख्यालय तथा प्रखंड मुख्यालय से सटे गांव रावताड़ा स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में ग्रामीण बच्चों के भविष्य को अंधकार में रखकर सेविका खुद कॉलेज में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रही है.
मामले को लेकर रसुनिया पंचायत के मुखिया मंगल माझी का कहना है कि सेविका चयन होने के 2 महीना बाद से ही ग्रामीणों से शिकायत मिली कि आंगनबाड़ी में सेविका प्रतिदिन मौजूद नहीं रहती हैं. उसके बाद 2 दिन आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण किया गया, लेकिन सेविका उसे समय केंद्र में मौजूद नहीं थी. ग्रामीणों से पूछताछ करने पर पता चला कि सेविका ग्रामीण बच्चों को शिक्षा देने के बजाए अपनी शिक्षा के लिए आंगनबाड़ी केंद्र में ताला लगाकर कॉलेज चली जाती हैं. ग्रामीणों का मुखिया ने बताया कि इस संबंध में जल्द ही जिले के अधिकारियों से शिकायत की जाएगी.
केंद्र की सहायिका शीला महतो का कहना है कि सेविका उच्च शिक्षा तथा निजी कार्यों के कारण अधिकांशतः आंगनबाड़ी केंद्र में अनुपस्थित रहती हैं. साथ ही बच्चों का पोषण आहार सही तरीके और दैनिक व्यंजन भी केंद्र तक नहीं पहुंचता है. बच्चों के खान पान को लेकर अक्सर ग्रामीण महिला आकार हंगामा भी करती हैं. मौके पर कुसुम कुमारी, सीमा महतो, रिंकी महतो, पिंकी महतो, झुमा महतो, बसंती महतो, रूपा दास, सोमवारी प्रामाणिक, पूजा प्रामाणिक, रुपाली महतो, बबिता महतो, रूमा महतो समेत अन्य उपस्थित थीं.
बाईट – शीला महतो (सहायिक)