CHANDIL चुहाड़ विद्रोह के नायक शहीद रघुनाथ महतो की आज 283 वीं जयंती है. इस मौके पर उनके पैतृक गाँव चांडिल अनुमंडल के घुटीयाडीह में सोमवार को रघुनाथ महतो के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित की गई.


मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में आजसू के केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, कि तत्कालीन जंगल महल के जनमानस स्वतंत्रता प्रेमी रघुनाथ महतो ने कभी गुलामी के जंजीर में बंधना पसंद नहीं किया. उन्होंने बलिदान देना पसंद किया, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत की गुलामी कभी स्वीकार नहीं किया. इसी का उपज था 1769 ई. में रघुनाथ महतो के नेतृत्व में इतिहास का चुहाड़ विद्रोह. यह विद्रोह तत्कालीन जंगल महल क्षेत्र से निकलकर सिंहभूम, छोटानागपुर आदि क्षेत्र में फैल गया था.
उन्होंने कहा कि यह विद्रोह जाति- धर्म से उपर उठकर था, जिसमें अंग्रेजी काला कानून के विरुद्ध एकजुट होकर सभी ने अस्त्र उठाया. उन्होंने कहा, कि विद्रोह में शामिल हजारों महापुरुषों के बलिदानों के बदले मिली स्वतंत्रता इतिहास के पन्नों में सदा अमर रहेगा. इस अवसर पर रघुनाथपुर के ग्राम प्रधान वैद्यनाथ महतो, घुटीयाडीह के ग्राम प्रधान दीपक महतो, नीमडीह के ग्राम प्रधान श्यामल महतो, केतुंगा के ग्राम प्रधान रघुनाथ महतो, झारखंड आंदोलनकारी रमापति महतो आदि उपस्थित थे.
झुमुर सम्राट संतोष महतो ने लोकगीतों से दर्शकों का मन मोहा
रघुनाथ महतो के जयंती पर झारखंड, ओड़िसा, पश्चिम बंगाल के ख्यातिप्राप्त लोक कलाकार झुमर सम्राट संतोष महतो के अलावा शिवा महतो, मिस रूबी व विरोजा ने विभिन्न भाषा से झुमर संगीत के माध्यम से दर्शकों का मन मोह लिया.
