चांडिल: साधु संत का अर्थ अबतक हमलोग यही जानते थे कि वे बड़े ही दयालु होते हैं, शांत स्वभाव के होते हैं. समाज के कल्याण के लिए चिंतन करते हैं, लेकिन बीते दिनों जूना अखाड़ा के महंत विद्यानंद सरस्वती और उनके समर्थकों ने टोल प्लाजा में जिस तरह से उपद्रव मचाया है, यह अत्यंत निंदनीय है. इस घटना के बाद साधु संतों को लेकर हमारी सोच बदल गई हैं. हमारी सोच बदलने के लिए स्वयं विद्यानंद सरस्वती ही जिम्मेदार हैं.
उक्त बातें पातकोम दिशोम मांझी परगना महाल के महासचिव श्यामल मार्डी ने कहा. श्यामल मार्डी ने अपने बयान में कहा है कि बीते दिनों चांडिल क्षेत्र के पाटा टोल प्लाजा में महंत विद्यानंद सरस्वती और उसके समर्थकों ने टोल प्लाजा में उपद्रव मचाया है, पुलिस की मौजूदगी में टोल प्लाजा के मजदूरों की पिटाई की गई, तोड़फोड़ किया गया है.
इस घटना के बाद भी पुलिस ने अबतक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, यह आश्चर्यजनक बात है. उन्होंने कहा कि किसी भी जाति धर्म में हिंसा का स्थान नहीं है, लेकिन महंत विद्यानंद सरस्वती ने अपना शक्ति प्रदर्शन करने की नीयत से गरीब मजदूरों को पिटवाया है और समाज को कलंकित करने का काम किया है. श्यामल मार्डी ने कहा कि जिस व्यक्ति को महंत की उपाधि प्राप्त है, यदि वह इस तरह का कुकृत्य करेंगे तो समाज में इस दुष्प्रभाव पड़ना निश्चित है. उन्होंने कहा कि महंत विद्यानंद सरस्वती ने निरीह टोल कर्मियों के साथ मारपीट कर अपराध किया, इसलिए पुलिस मामले की निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई करें. पूरे घटनाक्रम के वीडियो फुटेज उपलब्ध हैं, जो कि पर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. उन वीडियो फुटेज के आधार पर पुलिस को अविलंब दोषियों को चिन्हित कर कार्रवाई करना होगा, अन्यथा चांडिल को रणक्षेत्र बनने से कोई नहीं रोक पाएगा, जिसके लिए पुलिस प्रशासन स्वयं जिम्मेदार होंगे. यदि घटना के दोषियों पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती हैं तो आदिवासी मूलवासी समाज शांत बैठने वाला नहीं है, हमलोग बाध्य होकर अंततः सेंदरा करने के लिए सड़कों पर उतरेंगे.