नीमडीह: गुरुवार को चांडिल थाना क्षेत्र अंतर्गत पाटा डाउन टोल ब्रिज की घटना पर को लेकर आदिवासी संगठनों का आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है. शनिवार को नीमडीह प्रखंड अंतर्गत चिंगड़ा पाड़कीडीह मैदान में पतकोम दिशोम मांझी पारगाना माहाल की बैठक हुई. जिसकी अध्यक्षता हाप पारगाना ठाकुर दास बेसरा ने किया. बैठक में पाटा की घटना पर निंदा प्रकट किया गया.
समाज के लोगों ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार नहीं है. चाहे साधु हो या फकीर हो वह कोई भी हो लेकिन कानून का उलंघन करना अर्थात वह अपराधी है. उस घटना में जरीयाडीह के झारखंड आंदोलनकारी स्वर्गीय बंगाली मुर्मू के सुपुत्र संजय मुर्मु के साथ भी मारपीट और जाति सूचक गाली गलौच किया गया है. इस घटना से आदिवासी समुदाय के मान सम्मान को ठेस पहुंची है. पातकोम दिशोम मांझी पारगाना माहाल पुलिस से मांग करती है कि अविलंब दोषियों को गिरफ्तार कर जेल भेजे. निर्णय लिया गया कि इस घटना की जानकारी मुख्यमंत्री से मुलाकात कर दी जाएगी.
इस अवसर पर मांझी बाबा ज्योतिलाल बेसरा ने कहा कि महंत विद्यानंद सरस्वती को स्थानीय लोगों से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने स्थानीय आदिवासी मूलवासी युवाओं के साथ मारपीट कराया है. महंत विद्यानंद सरस्वती को इस तरह का कार्य शोभा नहीं देता है. जब विद्यानंद सरस्वती लाखों करोड़ की गाड़ी में घूम सकते हैं तो उन्हें टोल टैक्स देने में क्या दिक्कत हो गया.
बैठक में 5 मार्च को रांची में आयोजित आदिवासी बचाओ महारैली को लेकर चर्चा हुई. महारैली में अधिक से अधिक संख्या में पारंपरिक आदिवासी परिधान में उपस्थित होने का निर्णय लिया गया. सभी गांवों से आदिवासियों को ले जाने तथा जागरूक करने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई. बैठक में मुख्य रूप से काशीपुर मांझी बाबा ज्योतिलाल बेसरा, कालीपद मुर्मु, श्यामल मार्डी, अभिराम मांझी, सुखदेव हांसदा, सुभाष हेम्ब्रम, ठाकुर दास बेसरा, सनातन हांसदा,
माधव चंद्र मांझी, बलराम मांझी, बुधराम मांझी, परमेश्वर हांसदा, रामजीत हेम्ब्रम, श्रीधर हांसदा, सुफल मांझी, महावीर टुडू, साहेब राम हांसदा, सुनील मुर्मु आदि मौजूद थे.