चांडिल/ कुकड़ू MNREGA SCAME Exclucive Report: सरायकेला- खरसावां जिले के चांडिल अनुमंडल में सरकारी योजनाओं में किस तरह का लूट मचा है इसे जानकर आपको भी हैरानी होगी. जो न केवल सरकारी मशीनरी बल्कि केंद्रीय एजेंसियों के विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर रहा है. यहां हम बात कर रहे हैं मनरेगा योजना की. केंद्र प्रायोजित इस योजना में इस कदर लूट मचा है जिसकी निगरानी करने वाला कोई नहीं. 15 वें वित्त आयोग द्वारा संचालित इस योजना के तहत कुकड़ू प्रखंड के मौजा किशुनडीह, खाता नंबर- 23, प्लॉट नंबर- 508 में मनरेगा योजना के तहत तालाब निर्माण कर दिया गया है और इसके एवज में 1.85 लाख (लागभग) की निकासी हो गई है. जबकि इसकी जानकारी न तो जमीन के मूल रैयत को है न ही जिसके नाम से पैसों की निकासी हुई है उसे. है न मजे की बात ?
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इसी पुराने तालाब पर खुदा है फर्जी तालाब
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल कुकड़ू प्रखंड के मौजा किशुनडीह, खाता नंबर- 23, प्लॉट नंबर- 508 में बीस साल पुराना एक तालाब है. जिसके मालिक ख़ातियानी बरगी पोद्दार हैं. मनरेगा योजना के तहत 90X90X10 का तालाब नरेश माझी के नाम पर इसी जमीन को दिखाकर पास किया गया और 1.85 लाख (लागभग) की निकासी कर ली गई. हैरानी की बात है कि इसकी जानकारी नरेश माझी को नहीं है. योजना संख्या 3409004004/ IF/7080901961123 नरेश माझी के नाम से मनरेगा के सरकारी दस्तावेज में दर्ज है. मतलब कागजों पर ही योजना बनकर कागजों से ही भुगतान कर दिया गया. हैरानी की बात ये है कि उक्त जमीन का मूल रैयत बरगी पोद्दार है उसमें नरेश माझी सिकमी दखलदार है जिसे मात्र 50 डिसमिल जमीन दिया गया है.
जिम्मेदार कौन
नियम के अनुसार योजना स्वीकृत करने से पूर्व कई जांच से गुजरना पड़ता है, जिसमें मुखिया, पंचायत सचिव, रोजगार सेवक, जेई, एई बीपीओ, बीडीओ, डीडीसी, डीसी तक की स्वीकृति होती है. इतना बड़ा घोटाला हो गया और इसकी भनक किसी को नहीं लगी इसे सिस्टम की लापरवाही कहें या पैसे का खेल यह हम आपपर छोड़ते हैं मगर यह एक बानगी मात्र है. जिले के लागभग सभी प्रखंडों में ऐसे कई कागजी तालाब मिल जाएंगे जिसके एवज में अधिकारियों के मिलीभगत से करोड़ों की अवैध निकासी हो चुकी है जिसे जांचने परखने वाला कोई नहीं न राज्य की मशीनरी न केंद्रीय जांच एजेंसियां. बताया जाता है कि यह योजना 2022 में स्वीकृत किया गया था. इतना ही नहीं इस तालाब को दिखाकर दर्जनों योजनाओं की अवैध निकासी की गई है जिसकी जांच जरूरी है. बताया जाता है कि इस योजना का काम गुरुदास सेन की देखरेख में हुआ है. मुखिया लालू माझी ने बताया कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. यदि ऐसा हुआ है तो जांच कराई जाएगी.
भुगतान से सम्बंधित ब्यौरा
पांच साल से जमे बीपीओ की भूमिका कटघरे में
बता दें कि कुकड़ू प्रखंड के बीपीओ (ब्लॉक प्रोग्राम ऑफिसर) राम लगन उरांव पिछले पांच वर्षों से इसी प्रखंड में जमे हैं. सारी योजनाओं की स्वीकृति उनके द्वारा की दी जाती है. इस संबंध में जेई से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस संबंध में बीपीओ ही सही जानकारी दे सकते हैं उन्हें योजना पर काम का जिम्मा मिला उन्होंने काम की तकनीकी स्वीकृति दी. मतलब हमाम में किस- किस अधिकारी और कर्मियो ने कितनी डुबकी लगाई यह बगैर जांच के पता लगाना मुश्किल है मगर इतना तो तय है कि केंद्र की योजना में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है जिसमें नीचे से लेकर ऊपर तक के अधिकारी लूट मचा रहे हैं. और इसमें चुने गए जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी कटघरे में है.
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