चांडिल : जमशेदपुर के उलियान में मंगलवार को शहीद निर्मल महतो शहादत दिवस समारोह में शिरकत करने आए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं ईचागढ विधायक सविता महतो को अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच ने ज्ञापन सौंपा. मंच ने ज्ञापन माध्यम से मुख्यमंत्री व विधायक सविता से की चांडिल डैम का जलस्तर 177 आरएल के नीचे रखने की मांग की है. ज्ञापन में कहा गया पिछले 16 जून से 84 मौजा 116 गांव के विस्थापित अखिल झारखंड विस्थापित अधिकार मंच के बैनर तले स्थान पुराना मुख्य अभियंता कार्यालय परिसर में 10 सूत्री मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं. पिछले 42 वर्षों से हम सब अपने हक अधिकार और न्याय से वंचित हैं. समय बदला, राज्य बदला, सरकार भी बदलती रही पर आज तक हमें हमारा हक और अधिकार नहीं मिला.
कहा गया है कि 1981 में बना नीति नियम के अनुसार हमें कोई भी लाभ प्राप्त नहीं हुआ, बल्कि समय-समय पर नीतियां भी बदलती रही पर हमारे न्याय और अधिकार का नीति नहीं बना. आज चांडिल डैम का जलस्तर 180.20 मीटर है, समय रहते अगर गेट नहीं खोला गया तो हर वर्ष की तरह हमारे मकान, खेत डूब जाएंगे. जान-माल की क्षति होगी. हम सब देश का विकास विरोधी नहीं है, हमारे पूर्वजों ने अपनी जमीन देश के विकास के लिए कुर्बान कर दिया है पर बदले में हमेंआज तक सिर्फ आश्वासन मिलते आ रहा है.
मंच ने ज्ञापन में कहा है कि जब भी जल स्तर बढ़ाया जाता है तो सिर्फ 2 से 3 दिन तक हमारे घर, जमीन, खेत डूबते है. इन दो-तीन दिन डूबने के कारण हमारा जीवन इतना प्रभावित होता है कि पूरा वर्ष के लिए आर्थिक संकट आ जाता है. आज तक हमें हमारा जमीन का संपूर्ण मुआवजा नहीं मिला, विस्थापन के बदले संपूर्ण नियोजन नहीं मिला, पुनर्वास स्थल में संपूर्ण सुविधा नहीं मिला, पुनर्वासित विस्थापितों को आज तक जमीन का पट्टा नहीं मिला. विस्थापन के बदले मिलने वाले अनुदान में इतना अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार होते आ रहा है जिस कारण 100% अनुदान विस्थापितों को प्राप्त नहीं होता है. अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार ही मुख्य कारण है जिसके कारण विस्थापित आज अपना जमीन और मकान छोड़ नहीं पा रहे हैं.
मंच ने कहा है कि विभागीय दस्तावेजों में पुनर्वास जमीन के बदले पैसा लिया हुआ दिखाई देता है पर वास्तविक में मिलने वाले अनुदान का आधा हिस्सा विभागीय कर्मचारी एवं गांव के कुछ दलाल मिलकर भय दिखाकर, मजबूर करके ले लेते हैं, और वर्तमान में भी लेते हुए आ रहे हैं. आज भी ग्रामीण विस्थापित दलाल सैकड़ों विस्थापितों की विकास पुस्तिका कब्जा करके रखे हुए हैं. अब समस्या यह है कि विभाग ने जितना विस्थापितों को अनुदान दिया है , वास्तविकता में विस्थापितों को प्राप्त होते हुए भी कहीं जमीन खरीद नहीं पा रहे हैं, और ना ही मकान बना पा रहे हैं. करें तो क्या करें ? जाएं तो कहां जाएं ?
उक्त कारणों का हवाला देते हुए मंच ने बताया है कि इसलिए सब विस्थापित अपने मकान में रहने के लिए मजबूर हैं. आज परिस्थितियां ऐसा बना है अगर हमारे मकान, खेत डूब जाए तो हम अपने ही राज्य में रिफ्यूजी बन जाएंगे. हमारी पहचान, अस्तित्व, हमारा परिवार सब बर्बाद हो जाएगा. राज्य में आपके दल का सरकार है. समस्याओं को लेकर विधानसभा मानसून सत्र में ईचागढ़ विधायक सविता महतो 180 मीटर के नीचे जल भंडारण रखने का मांग की है, परंतु विभाग के द्वारा अभी तक जलस्तर कम करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है. मंच ने चांडिल डैम का जलस्तर 177 मीटर के नीचे घटाने और जांच कराते हुए विस्थापितों के न्याय करने का अपील की है.