चांडिल/ Sumangal Kundu (Kebu) : कोल्हान के चांडिल अनुमंडल स्थित दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के छोटी पर पत्थर के गुफा के अंदर विराजमान है देव का देव महादेव भक्ति और श्रद्धा से माने जाने वाले महाशिवरात्रि को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की आने की संभावना जताई जा रही हैं. मंदिर के चारो दुकान लग चुके है, मंदिर को सजाया जा रहा हे।सबसे ऊपर छोटी पर हनुमान जी मंदिर है नीचे दलमा पाठ दुर्गा की गुफा मंदिर हे जहा मां विराजमान कोटासिनी जंगल आदि शक्ति दुर्गा मां की पूजा आदिवासी द्वारा चैत माह में किया जाता हे.
दलमा पहाड़ की चोटी पर स्थित प्राचीन कालीन शिव मंदिर में प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि को बड़ी संख्या में श्रद्धालु की भीड़ उमड़ती हैं. इस वर्ष दो लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है, जो वाहनों एवं विभिन्न जगह से पैदल यात्रा कर पहुंचने वाले हैं. श्रद्धालु पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा के कोंकादासा होते ,नीमडीह थाना क्षेत्र चलियामा ,पोडाडीह, गुमांडीह आदि जगह से जंगल के बिहोड़ो होते शिव भक्तो दलमा स्थित बूढ़ा बाबा शिवालय पहुंचते है,हाथी की बहुल क्षेत्र होने के बावजूद निडरता हुए लोग दिन रात बाबा के दरबार पहुंचते.
19 किलोमीटर दूरी दलमा हील टॉप पहुंचने के लिए रांची – टाटा नेशनल हाईवे के दलमा मुख्य द्वार शहरबेड़ा से दलमा की चोटी तक जाने के लिए मुख्य मार्ग है. इसके अलावा जमशेदपुर के बोड़ाम से भी दलमा चढ़ने के रोड हैं. इसके अलावा चांडिल के फदलोगोड़ा, नीमडीह के चालियामा तथा बोड़ाम क्षेत्र से पैदल यात्रा करते हुए दलमा पहाड़ के शिव मंदिर तक पहुंचने का मार्ग है. दलमा की चोटी पर स्थित शिवलिंग एक गुफा के अंदर विराजमान हैं, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना करते हैं.
ऐसी मान्यता है कि दलमा शिवलिंग पर जलाभिषेक करने वालों की हर मन्नत पूरी होती हैं और पारिवारिक शांति मिलती हैं. महाशिवरात्रि में प्रतिवर्ष सैकड़ों दुकानें लगती हैं, जिनमें पूजा की सामग्री उपलब्ध होते हैं. इसके अलावा खाने पीने की दूकान भी रहती हैं. चाकुलिया चेक नाका से पहाड़ी की चोटी तक अथवा पैदल मार्ग में श्रद्धालुओं को विभिन्न प्रकार के परेशानियों का सामना करना पड़ता है लेकिन आस्था के सामने सभी परेशानी फीकी पड़ जाती हैं. दलमा पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को बंदर, भालू, खरगोश, हिरण, मोर, कोयल इत्यादि जंगली हाथी भालू ,टाईगर ,चिता ,भालू आदि पशु पक्षियों को निहारने का आनंद मिलता है.
महाशिवरात्रि को श्रद्धालुओं की सेवा के लिए विभिन्न समितियों द्वारा खिचड़ी, खीर, पेयजल आदि सेवा प्रदान किया जाता है. गवर्नमेंट ऑफ झारखंड डिपार्टमेंट ऑफ एनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट वुडेन कियोस्क स्टॉल ,ईको टूरिज्म एलिफेंट प्रॉजेक्ट द्वारा स्थानीय लोगो के छोटे छोटे लकड़ी के बने 8 स्टॉल खोल दिए हे. वन विभाग द्वारा जंगल में सफारी की सुविधा भी उपलब्ध कराया गया.