चांडिल: अनुमंडल क्षेत्र में अवैध लॉटरी की बिक्री जोर- शोर से चल रही हैं. गांव टोला में लॉटरी एजेंट झोला में लॉटरी लेकर सुबह- सुबह पहुंच रहे हैं और गांव के मजदूर, छोटे छोटे दुकानदार, युवाओं को लाखों करोड़ों रुपए ईनाम का लालच देकर लॉटरी बेच रहे हैं.
ज्ञात हो कि झारखंड में यह लॉटरी खेल अवैध है, सरकार ने इसपर प्रतिबंध लगा रखा है. रात को नकली लॉटरी की छपाई होती हैं और रातों रात कारोबारियों के पास पहुंच जाता है. राजनीतिक दलों के झंडे लगे हुए लग्ज़री कार में रात को लॉटरी लाए जाते हैं और सुबह सुबह एजेंटों में वितरण किया जाता है. अनुमानित प्रतिदिन चार- पांच लाख रुपये की लॉटरी की बिक्री हो रही हैं. बताया जाता है कि इन नकली लॉटरी की छपाई पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी तथा धनबाद जिले के गोबिंदपुर क्षेत्र में होती हैं.
बीते साल अवैध/ नकली लॉटरी बिक्री के आरोप में घाटशिला क्षेत्र से एक व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. उस समय पुलिस ने खुलासा किया था कि क्षेत्र में सैकड़ों एजेंट हैं जो प्रतिदिन अवैध लॉटरी का बिक्री करते हैं और शाम को अपने माफियाओं को राशि जमा करते हैं. उन दिनों पुलिस ने आमजनों को सतर्क रहने तथा पुलिस को सूचना देने की अपील की थी.
चांडिल क्षेत्र में भी यह धंधा इन दिनों खूब फलफूल रहा है और गरीबों को लाखों करोड़ों रुपए ईनाम का लालच देकर उनकी गाढ़ी कमाई को लूटा जा रहा है. बताया जाता है कि राजनीतिक दल के पद पर विराजमान नेताओं द्वारा ही यह धंधा किया जा रहा है. लेकिन इन कारोबारियों के खिलाफ ना तो पुलिस की ओर कोई कार्रवाई होती हैं और ना राजनीतिक दलों द्वारा इनके ऊपर किसी तरह का दबाव बनाया जाता है. चांडिल के एक नेता ने अपना नाम ना प्रकाशित करने के शर्त बताया कि अवैध लॉटरी के धंधे में प्रतिमाह 30- 40 लाख रुपए की कमाई होती हैं. जिसमें से सभी को हिस्सा दिया जाता है. जिससे प्रत्येक सदस्य को प्रतिमाह करीब पचास हजार से एक लाख रुपए तक की कमाई हो जाती हैं. इधर, चांडिल वासियों के कहना है कि अवैध लॉटरी के तरह का नशा बन गया है. खास तौर पर युवाओं के लिए यह अफीम चरस की तरह नशा बन गया है. लॉटरी में अपने दिनभर की कमाई को लुटाने के बाद स्वाभाविक रूप से पारिवारिक विवाद बढ़ने की संभावना रहती हैं.