सरायकेला: दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य इको सेंसेटिव जोन घोषित होने के बाद भी उक्त क्षेत्रों में इको सेंसेटिव जोन के नियमो को दरकिनार कर चांडिल अनुमंडल में होटल वेब इंटरनेशनल एवं टेंथ माइल रिसोर्ट संचालित हो रहा है. साथ ही एनएच से सटे दलमा की तराई में धड़ल्ले से जमीनों का बंदरबांट चल रहा है.
इको सेंसेटिव जोन के नियमो को दरकिनार कर वन व सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा कर इस प्रकार की इमारते बनाने से वन्य जीव पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. ऐसे ही कई होटल व प्रदूषित इकाइयां दलमा इको सेंसेटिव रेंज में संचालित हो रहे है जो दलमा के लिए घातक है. इन्ही होटल, रिसोर्ट, ढाबों और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व प्रदूषित इंकाइयों का असर है, कि वन्य जीव दलमा से निकल शहरी क्षेत्र में पहुंच रहे है और जान- माल को या तो क्षति पहुंचा रहे हैं या मारे जा रहे हैं.
इसके अलावे दलमा इको सेंसेटिव जोन में चांडिल अंचल के बड़ालाखा मौजा में अजय साह द्वारा सरकारी भूमि पर गिरिधारी होटल बनाया गया है.
इको सेंसेटिव जोन क्षेत्र अंतर्गत चांडिल के हुमिद में मनोज होटल, जरुयाडीह में सिद्वि विनायक होटल, लक्ष्मी होटल, जगदीश होटल, करनीडीह में महेश होटल, चिलगू में मां शेरावाली होटल, पाटा में सुमन होटल, शहरबेड़ा में सुधा होटल, शीतल छाया होटल, आसनबनी में अमृत पाल सिंह होटल, दलमांचल रिसोर्ट, तारापद पाल होटल, वारिद पाल होटल, गोल्डन लिफ रिसोर्ट, बंगाली होटल, 10th माइल स्टोन रिसोर्ट, टाटा हाइवे होटल, आकाश होटल, वेब इंटरनेशनल होटल, बाबा भूतनाथ भोजनालय, होटल टाटा हाइवे, दिग्विजय होटल, जगजीत होटल, मंजीत होटल, होटल माउंट व्यू, सिल्वर सैंड रिसोर्ट, हिल व्यू होटल, नीमीडीह के पितकी में प्रिया लाइन होटल, मुखु गोप लाइन होटल, धर्मू गोप लाइन होटल व सिल्वर सेंड रिसोर्ट संचालित है, जबकि प्रदूषित इकाइयो में सेंसेटिव जोन क्षेत्र में चांडिल के धुनाबुरु में कोहिनूर स्टील प्लांट, काशीडीह में जेवाईसी माइनिंग, रामगढ़ में क्रेशर, गांगूडीह में पसारी स्टील कंपनी, रुदिया में ईंट भट्टा, कटिया में ईंट भट्टा, शहरबेड़ा में क्रशर, करनीडीह में क्रशर, पुड़ीसीली में ईंट भट्टा, मानीकुई में ओम मेटल,भादुडीह में क्रेशर, आसनबनी में काला ईंटा भट्टा, मून इंजीनियरिंग, हंसमुख इंजीनियरिंग, बोन फैक्ट्री समेत क्रशर, भट्टा व कंपनी के अन्य इकाइयां शामिल है.
निगरानी समिति में उठा था मामला
विदित रहे कि विगत दिनों हुई निगरानी समिति की बैठक में इन सब मुद्दों से जुड़े कई बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी गई थी. जिसको लेकर जिले के अपर उपायुक्त द्वारा दलमा इको सेंसेटिव जोन के उप वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक को जांच रिपोर्ट भेजी गई है. जांच रिपोर्ट के बाद अवैध निर्माण पर कारवाई की जाएगी. दलमा वन्य प्राणी अभयारण्य समेत वन क्षेत्र में इको सेंसेटिव जोन से जुड़े नियमों से छेड़छाड़ किए जाने से वन्यजीव पर प्रतिकूल असर पड़ा है. अभयारण्य के जंगली हाथी समेत अन्य वन्य जीव जो अपने आश्रय और भोजन की तलाश में वन क्षेत्र में आसानी से विचरण करते हैं सबसे ज्यादा खतरा और नुकसान उन्हें ही उठाना पड़ता है.
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क्या हो रहा है नुकसान
दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी समेत अन्य वन क्षेत्रों में शहरीकरण से गांव को नुकसान हो रहा है. जंगली हाथी समेत अन्य वन्यजीव अपने आश्रय व भोजन की तलाश में शहरी क्षेत्र की ओर पहुंच रहे हैं. इससे मानव व वन्य जीव के बीच संघर्ष जारी है. दोनों को अपना जीवन देकर इसका नुकसान उठाना पड़ रहा है. प्रतिवर्ष जंगली हाथियों के शहर में पहुंचने की कई घटनाएं सामने आ चुके हैं.
विभाग और प्रशासन अनजान
वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर वन विभाग के अधिकारियों ने अनभिज्ञता जाहिर किया. वनरक्षी के अनुसार जो निर्माण कार्य हो रहे हैं उसके लिए रैयतों से लीज समझौता किया गया है. उसी एग्रीमेंट के तहत निर्माण कार्य हो रहे हैं. डेयरी फार्म और एग्रीकल्चर वर्क के लिए लीज पर जमीन लिया गया है.
वहीं अंचल कार्यालय ने इस मामले में अनभिज्ञता जाहिर की. जबकि स्थानीय पुलिस को भी इतने बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण कार्य अवैध नजर नहीं आ रहा है. वैसे इस पूरे खेल के पीछे स्थानीय भू माफियाओं की चांदी कट रही है. इसकी आड़ में सरकारी जमीनों का भी बंदरबांट जारी है. जरूरत है इसपर तत्काल नकेल कसने की अन्यथा एक साल बाद सबकुछ हाथ से निकल चुका होगा.