चांडिल/ Sumangal Kundu (Kebu) चांडिल प्रखंड की पूर्व प्रमुख अमला मुर्मू ने झारखंड चुनाव आयोग समेत जिला प्रशासन से प्रमुख चुनाव को स्थगित करने की मांग की है. इसको लेकर अमला मुर्मू ने राज्य चुनाव आयोग के साथ उपायुक्त व चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी को लिखित आवेदन किया है.
आवेदन में कहा गया है कि आगामी 26 जुलाई को चांडिल प्रमुख चुनाव हेतु बुलाई गई बैठक को स्थगित किया जाए. कहा गया है कि सरायकेला- खरसावां के उपायुक्त ने गैर कानूनी तरीके से प्रमुख (अमला मुर्मू) की सदस्यता को रद्द किया है. इसके विरुद्ध झारखंड उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर किया गया है, जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर WP. (C) 3363/2023 है. अमला मुर्मू ने कहा कि जल्द ही उच्च न्यायालय में सुनवाई के पश्चात निर्णय आने की संभावना है, इसलिए तत्काल प्रमुख चुनाव के लिए बुलाई गई बैठक को स्थगित किया जाए.
पूर्व प्रमुख अमला मुर्मू ने कहा है कि इलेक्शन पिटीशन 18 – 2022/ 2023 में उपायुक्त द्वारा पारित आदेश में भी पंचायत समिति सदस्य भादूडीह का चुनाव अविलंब कराने का निर्देश दिया गया है, लेकिन पंचायत समिति सदस्य का चुनाव ना कराकर सीधे प्रमुख पद का चुनाव का घोषणा करना सरासर असंवैधानिक कार्य है. यदि उच्च न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा किए बिना प्रमुख का चुनाव कराया जाता है तो भविष्य में संवैधानिक संकट का सामना करने की संभावना है और मुझे भी अपूर्णीय क्षति का सामना करना पड़ेगा.
*सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ओडिशा की बेटी*
चांडिल प्रखंड की पूर्व प्रमुख अमला मुर्मू ने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन की भाभी एवं जामा विधानसभा की विधायक सीता सोरेन भी ओडिशा की बेटी हैं. इसके अलावा झारखंड में कई महिला विधायक समेत जिला परिषद सदस्य, प्रमुख, मुखिया एवं पंचायत समिति सदस्य भी बंगाल व ओडिशा की बेटी हैं जो विवाह होकर झारखंड की बहू बनी है और चुनाव लड़कर जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुई हैं, लेकिन उनके ऊपर कार्रवाई नहीं होती हैं, क्योंकि वह झामुमो से जुड़े हुए हैं और वर्तमान में झामुमो सत्ता में है. अमला मुर्मू ने कहा कि उन्होंने झामुमो का झंडा पकड़ने से इंकार कर दिया तो झामुमो के लोगों ने उन्हें प्रताड़ित करना शुरू किया. अंततः सत्ता का दुरुपयोग करके गैर कानूनी तरीके से प्रशासन को निर्णय लेने को विवश करके सदस्यता रद्द करवाया है.
श्रीमती मुर्मू ने कहा कि सरायकेला- खरसावां के उपायुक्त के आदेश के आधार पर उच्च न्यायालय में झामुमो के विधायकों एवं झामुमो समर्थित पंचायत के जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध एक अलग से याचिका दायर कराएंगे और उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग करेंगे.