चांडिल/ Sumangal Kundu (Kebu) : सरायकेला खरसावां जिला के विभिन्न जगह में दुर्गा अष्टमी व्रत देवी शक्ति (देवी दुर्गा) को समर्पित एक महत्वपूर्ण हिंदू अनुष्ठान है. मासिक दुर्गा अष्टमी एक मासिक कार्यक्रम है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के चांडिल खेलाई चंडी हनुमान मंदिर के सामने विगत सात वर्षो से चैती मां दुर्गा का पूजा अर्चना करते आए. सभी वर्ती आज दुर्गा अष्टमी दिनों में से, आश्विन माह की शुक्ल पक्ष अष्टमी सबसे लोकप्रिय है और इसे महा अष्टमी या केवल दुर्गाष्टमी कहा जाता है. दुर्गा अष्टमी 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव के आखिरी 5 दिनों के दौरान आती है.
इस दिन देवी दुर्गा के हथियारों की पूजा की जाती है और इस उत्सव को ‘अस्त्र पूजा’ के रूप में जाना जाता है. हथियारों और मार्शल आर्ट के अन्य रूपों के प्रदर्शन के कारण इस दिन को लोकप्रिय रूप से ‘विराष्टमी’ भी कहा जाता है. हिंदू भक्त देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और उनका दिव्य आशीर्वाद पाने के लिए सख्त उपवास रखते हैं.
दुर्गा अष्टमी के दिन भक्त देवी दुर्गा से प्रार्थना करते हैं. वे सुबह जल्दी उठते हैं और देवी को फूल, चंदन और धूप के रूप में कई चीजें चढ़ाते हैं. कुछ स्थानों पर दुर्गा अष्टमी व्रत के दिन कुमारी पूजा भी की जाती है. हिंदू 6-12 वर्ष की आयु की लड़कियों को देवी दुर्गा के कन्या (कुंवारी) रूप के रूप में पूजते हैं. देवी को अर्पित करने के लिए विशेष ‘नैवेद्यम’ तैयार किया जाता है. उपवास दिन का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. दुर्गा अष्टमी व्रत का पालनकर्ता पूरे दिन खाने या पीने से परहेज करता है.
यह व्रत पुरुषों और महिलाओं द्वारा समान रूप से रखा जाता है. दुर्गा अष्टमी व्रत आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने और देवी दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है.।कुछ भक्त केवल दूध पीकर या फल खाकर व्रत रखते हैं. इस दिन मांसाहारी भोजन और शराब का सेवन सख्त वर्जित है. दुर्गा अष्टमी व्रत करने वाले को फर्श पर सोना चाहिए और आराम और विलासिता से दूर रहना चाहिए. पश्चिमी भारत के कुछ क्षेत्रों में जौ के बीज बोने की भी प्रथा है.