चांडिल: शुक्रवार को कपाली के डोबो में संपन्न हुए प्रख्यात शिव महापुराण कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का पांच दिवसीय प्रवचन कई विवादों को अपने पीछे छोड़ गया. इस आध्यत्मिक अनुष्ठान में जहां नियम कायदों की धज्जियां उड़ी वहीं एक महिला श्रद्धालु को अपनी जान तक गंवानी पड़ी. जिसको लेकर आयोजकों के खिलाफ लोगों में गुस्सा है. महिला का नाम संध्या सरकार है और वह पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर एनटीपीसी थाना क्षेत्र के सुभाष नगर की राहनेवली थी. महिला 15 महिलाओं के समूह में यहां पंडित जी का प्रवचन सुनने आयी थी. शुक्रवार को प्रवचन के दौरान भजन के दरम्यान नृत्य करते- करते महिला बेहोश होकर गिर गई थी. आनन- फानन में महिला को एमजीएम अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. शुक्रवार को करीब तीन लाख श्रद्धालुओं का जुटान हुआ था.
अव्यवस्था से हर दिन मचती रही भगदड़
प्रवचन को लेकर आयोजकों द्वारा किए गए तैयारी और प्रशासन की व्यवस्था को लेकर पहले दिन से ही श्रद्धालुओं और प्रशासन के बीच तना- तनी देखी गई. कहीं आयोजकों के साथ धक्कामुक्की तो कहीं पुलिस- प्रशासन और वोलिएन्टियर्स के साथ गुत्थमगुत्थी देखा गया. कहीं पुलिस- प्रशासन के अधिकारी आपस में लड़ते- भिड़ते देखे गए. यहां तक कि कार्यक्रम का कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों के साथ भी कहीं- कहीं आयोजक, पुलिस एवं प्रशासन के अधिकारियों को बदसलूकी करते देखा गया. यूं कहें तो पूरा जिला इस दौरान अस्त- व्यस्त और पंडित जी की तीमारदारी में जुटा रहा. इन सबसे बेखबर पंडित जी प्रवचन देकर विदा हो गए.
पांच दिन में करोड़ों लुटा कर श्रद्धालु हुए विदा, आयोजकों की चांदी, बाबा के ठाठबाट बना चर्चा का विषय
पांच दिवसीय आध्यात्मिक प्रवचन से ज्यादा चर्चा कुव्यवस्था, तामझाम और पंडित प्रदीप मिश्रा के ठाठबाट की होती रही. एक ओर जहां पहले दिन से ही ग्रामसभा ने बगैर अनुमति के कार्यक्रम को लेकर विरोध जताया वहीं वन भूमि में डीप बोरिंग और वन भूमि के साथ छेड़छाड़ को लेकर ग्रामीणों ने प्रशासन और वन विभाग के साथ आयोजकों के खिलाफ़ शिकायत दर्ज कराया है. इधर कार्यक्रम को लेकर ट्रैफिक रूट को बदलने के कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिले के तमाम आलाधिकारियों की ड्यूटी बाबा के तीमारदारी में लगा दी गई. सबसे ज्यादा चर्चा बाबा के ठाठबाट की होती रही. बाबा आदित्यपुर के होटल क्रूज के सुइट में ठहरे थे. यहीं उनके चेला- चपाटियों का भी रहने का प्रबंध किया गया था. बाबा के सिक्युरिटी में 80 बाउंसरों की तैनाती थी. जो पुलिस को भी धक्का देकर बाबा को सुरक्षा देते दिखे. बाबा से मिलने होटल में पैरवी करने वालों की खूब चांदी रही. बाबा वैसे लोगों से ही मिले जिनपर बाबा के चेलों की कृपा हुई. कुल मिलाकर कहें तो आस्था के नाम पर भले भक्तों ने पांच दिनों में करोड़ों लुटा दिए मगर इस प्रवचन का उनके निजी जीवन में कितना प्रभाव डालता है यह बड़ी बात होगी.