चांडिल: राज्य में हेमंत सत्ता का पॉवर चांडिल में देखने को मिला. जहां जल संसाधन विभाग के टेंडर में जमकर खेला हुआ मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि खेल में खिलाड़ी कोई था ही नहीं, केवल अंपायर था और बाकी विभागीय अधिकारी केवल मूक दर्शक बन दो दिनों तक तमाशबीन बने रहे. अंततः बुधवार को गेंद थर्ड अंपायर के पाले में डाल दिया गया है जिसपर निर्णय आने का इंतजार है. हालांकि टेंडर के खेल के असल खिलाड़ियों ने पूरे मैच को फिक्स बताया.
बता दें कि बुधवार को चांडिल स्वर्णरेखा परियोजना बांध प्रमंडल- दो के लिए जल संसाधन विभाग के अलग- अलग योजनाओं के कुल 5 टेंडर डाले गए. इसमें सबसे महत्वपूर्ण टेंडर कार्यपालक अभियंता के कार्यालय से स्वर्णरेखा बांध प्रमंडल- दो चांडिल के लिए निकाले गए टेंडर 2.2096024 करोड़ वाला रहा. जिसमें दो संवेदको ने टेंडर डाले, हालांकि इसके कयास शुरू से ही लगाए जा रहे थे.
दिनभर पूरे चांडिल परिक्षेत्र में चर्चाओं और अफवाहों का बाजार गर्म रहा. मुख्यमंत्री के करीबी आपस में दो गुटों में बंटकर अपने- अपने पसंदीदा संवेदक को टेंडर दिलाने की कवायद में जुटे रहे. दोनों तरफ से एक दूसरे पर भौहें तनती रही. मान मनौव्वल से लेकर तू-तू- मैं- मैं का दौर चला. अंततः दोनों गुटों ने टेंडर डाल दिया है. हालांकि टेंडर बंद कमरे में डाला गया है. टेंडर डालते वक्त मुख्यमंत्री के दोनों मामा अंगरक्षकों के साथ अंदर मौजूद रहे. बाहर से दरवाजा बंद कर दिया गया था. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि टेंडर फाइनल किसका होता है.
हाई प्रोफाइल टेंडर में दिखी प्रशासिक लापरवाही
टेंडर को लेकर जिस तरह से चांडिल में गहमागहमी रही उसको देख कर पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई. टेंडर को लेकर जिस तरह से मुख्यमंत्री के बड़े मामा गुरुचरण किस्कू एवं छोटे मामा चारु चरण किस्कू खुलेआम अपने-अपने समर्थकों के साथ टेंडर स्थल पर अपने हथियारबंद अंगरक्षकों के साथ देखे गए उससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी रही. हालांकि इस तरह का माहौल बनने के बाद भी विभागीय स्तर पर पुलिस को जानकारी ना देना अपने आप में बड़ी लापरवाही है. गनीमत रही कि अंतिम वक्त पर दोनों ही संवेदकों द्वारा टेंडर डाल दिया गया. विशेष सूत्रों के अनुसार टेंडर विवाद को लेकर पार्टी के अंदर खटास और मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं.
विस्थापितों में नाराजगी
इधर चांडिल प्रखंड के उप प्रमुख रामकृष्ण महतो ने इस पूरे प्रकरण में कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने बताया कि टेंडर में विस्थापितों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए थी. मगर जिस तरह सत्ता के मद में चूर मुख्यमंत्री के रिश्तेदार हथियारबंद बॉडीगार्डों के साथ टेंडर स्थल पर जमे रहे उससे साफ प्रतीत होता है कि राज्य में सत्ता हावी हो चली है. उन्होंने टेंडर रद्द करने की मांग की है आप भी सुनें.
बाईट
रामकृष्ण महतो (उप प्रमुख- चांडिल प्रखंड)
Reporter for Industrial Area Adityapur