चांडिल/ Sumangal Kundu (Kebu) : कोल्हान के चांडिल अनुमंडल स्थित दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के मकुलाकोचा मुख्य चेकनाका में रंजनी नामक हथनी इन दिनों पर्यटकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र बन चुकी है. झारखंड के साथ पश्चिम बंगाल , ओड़ीशा, छत्तीसगढ़, बिहार, नेपाल आदि राज्यों से पर्यटकों की भीड़ दलमा गज परियोजना भ्रमण के लिए पहुंच रहा हे. सभी देश और विदेशी पर्यटकों की जुबान में रंजनी हथनी का नाम और चेहरे में चमक देखते ही बनती है. सैलानी रंजनी के साथ घुलमिल जाती है और रंजनी के साथ यादगार पल को आपने मोबाईल से सेल्फी लेकर खुशी जाहिर करते है. पर्यटकों का कहना है कि दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में आदर्श और मनोरम दृश्य देखने को मिलता है, जंगल के वादियों में विभिन्न प्रकार के जल स्रोत के साथ छोड़े बड़े बांध भी देखने को मिलते है.
पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम, चाकुलिया होते हुए हाथियों का झुंड बहरागोड़ा, घाटशिला पहुंचते है. उसके बाद हाथी की झुंड दलमा सेंचुरी में एंट्री नही करते हे. इस बर्ष 15 दिसंबर के आसपास हाथियों का एक झुंड ने पटमदा होते सेंचुरी में प्रवेश किया और विचरण करते हुए कोंकादासा, गुमानडीह , बाधडीह होते हुए झुंड बातकोमकोचा ओर टेंगाडीह बिट की ओर पहुंचे. आज मुख्य सेंचुरी से गजराज की झुंड नही रहने के कारण दो वर्षो से इस क्षेत्र में हाथी की झुंड भोजन के लिए तरसते है. पहले की अपेक्षा सेंचुरी में पौष्टिक भोजन की कमी देखने को मिल रही है.
सेंचुरी में एक समय ऐसा था जब रॉयल बंगाल टाईगर का बहुल क्षेत्र माना जाता था. अब इसे गज परियोजना से जाना जाता है. इस जंगल की बिहोड़ो में हाथी की मुख्य प्रजनन केंद्र माना जाता है. पश्चिम बंगाल और ओडिशा से हाथी की झुंड गर्मी के समय पानी भोजन की तलाश को इस क्षेत्र में आते थे. झुंड विभिन्न जलस्रोत में पर्यटकों को आसानी से देखने को मिलता था. आज के दौर में इस जंगल में आग लगना , शिकार होना , अवेध रूप से जंगल की पेड़ की कटाई और पश्चिम बंगाल और जमशेदपुर शहर में धड़ल्ले से तस्करी होना यह आम बाते हो गया जिसके कारण इस क्षेत्र में गजराज की झुंड कम ही आते है. प्रत्येक वर्ष वन एवं पर्यावरण विभाग को केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपया मुहैया करते है. इस सेंचुरी में विभिन्न प्रकार के पंछी और जीवजंतु देखने को मिलता था जो आज विलुप्त की कगार पर है.