चांडिल/ Sumangal Kundu सरायकेला – खरसवां जिले के चांडिल थाना क्षेत्र के आसनबनी में एक ईसाई युवती ने धर्म वापसी की है. ईसाई धर्म को त्यागकर पुनः सरना धर्म में वापसी करने पर समाज के लोगों ने स्वागत किया.
दरअसल, चांडिल थाना क्षेत्र के आसनबनी पंचायत के रांगाखेन्ना निवासी लाखाय हांसदा के पुत्र श्याम हांसदा का पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया प्रखंड के भीतर आमदा की एक युवती के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था. वहीं, युवक श्याम हांसदा युवती रबिता टुडू (ईसाई धर्म) को अपने साथ घर लेकर आ गया है. इसपर युवक श्याम हांसदा के परिजनों तथा संथाल समाज के लोगों ने ईसाई धर्म की युवती से शादी करने पर आपत्ति जताई. इसके बाद युवती ने ईसाई धर्म छोड़कर पुनः सरना धर्म में वापसी करने की सहमति जताई.
रविवार को संथाल समाज के लोगों ने अपने पारंपरिक रीति रिवाज के साथ रबिता टुडू की सरना धर्म में वापसी करायी. देश नायके फकीर चंद्र सोरेन, मांझी बाबा गोबिंद किस्कू की उपस्थिति में बारहा दिशोम पारगाना बिरधान किस्कू द्वारा रीति रिवाज की औपचारिकता पूरी की गयी. साथ ही युवती को सरना धर्म का पालन करने का संकल्प दिलाया.
इस अवसर पर संथाल समाज के सैकड़ों लोग मौजूद थे. इस अवसर पर युवती रबिता टुडू को सरना धर्म में वापसी करने पर समाज के लोगों ने स्वागत किया. वहीं, युवक और युवती की शादी करायी गयी. गांव के जाहेर थान में अपने इष्टदेव को साक्षी मानकर दोनों ने सामाजिक रीति- रिवाज से शादी कर ली.
देश नायके फकीर चंद्र सोरेन ने कहा कि युवती के पिता सिंधु टुडू ने सरना धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाया था. उसकी बेटी रबिता टुडू और श्याम हांसदा का प्रेम प्रसंग चल रहा था और दोनों शादी करना चाहते थे. युवती ने अपनी मर्जी से सरना धर्म में वापसी करने की इच्छा जताई. इसके बाद ही संथाल समाज के परंपरा के अनुसार सवर्प्रथम समाज के पारगाना, मांझी बाबा, नायके, गोड़ेत तथा गण्यमान्य लोगों ने बैठक की. वहीं, डुमरिया के पारगाना समेत समाज के प्रभावी लोगों को जानकारी दी गई. युवती के पिता को भी मामले की पूरी जानकारी देने के बाद युवती को सरना धर्म में लाया गया और उसका स्वागत किया गया.
एक साल पहले भी चांडिल के पाटा में हुआ था धर्म वापसी
सालभर पहले चांडिल थाना क्षेत्र के पाटा गांव में भी एक युवती को सरना धर्म में वापसी करवाया गया था. इसी तरह के मामले में एक ईसाई धर्म की युवती को पहले उसके इच्छा अनुसार सरना धर्म में वापसी करवाने के बाद सरना धर्म के रीति- रिवाज के तहत शादी कराई गई थी.