चांडिल/ Sumangal Kundu आज हूल क्रांति दिवस है. इस अवसर पर हूल क्रांति के नायक अमर शहीद सिदो- कान्हू को पूरा झारखंड नमन कर रहा है. इसी कड़ी में मंगलवार को चांडिल स्थित अमर शहीद सिदो- कान्हू की आदमकद प्रतिमा पर झारखण्ड दिशोम बाहा (सरहुल) जाहेरगाढ समिति व विभिन्न समाजिक संगठनों द्वारा माल्यार्पण कर हूल क्रांति दिवस मनाया गया.
मौके पर जाहेरगाढ समिति के प्रवक्ता सुदामा हेम्ब्रम ने कहा कि संथाल हूल विद्रोह सन 1855 में सिदो- कान्हू के नेतृत्व में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध चलाया गया था. उसके बाद हजारों लोगों ने सिदो- कान्हू के नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता, साहूकारों, व्यापारियों व जमींदारों के खिलाफ हूल- हूल के नारे के साथ सशस्त्र युद्ध की शुरूआत किया गया, जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है. संथाल विद्रोह का नारा था- “करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो” इस अवसर पर जाहेरगाढ समिति के कोषाध्यक्ष बैधनाथ टुडू, मोती सोरेन, बाबू राम सोरेन, बीरु टुडू, राजू किस्कू, कले हेम्ब्रम, रविंद्र नाथ सिंह, सुफल किस्कू, बाबलू सोरेन, सोनाराम बेसरा आदि उपस्थित थे.
Reporter for Industrial Area Adityapur