चांडिल: प्रखंड के निवर्तमान प्रमुख अमला मुर्मू ने जिला प्रशासन पर जोरदार हमला किया है. वहीं, उपायुक्त के विरुद्ध एसटी/ एससी उत्पीड़न तथा कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मामला दर्ज कराने की बात कही है. चांडिल के जयदा स्थित एक होटल में आयोजित प्रेस वार्ता में अमला मुर्मू ने जिला प्रशासन के अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाई है.
वहीं, उपायुक्त पर कोर्ट के आदेश की अवमानना करने का भी आरोप लगाया है. प्रेस वार्ता से पूर्व निर्वतमान प्रमुख अमला मुर्मू ने अपने समर्थक पंचायत समिति सदस्यों के साथ बैठक करते हुए जिला प्रशासन को घेरने की रणनीति तैयार की. प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अमला मुर्मू ने कहा कि आम जनता ने मत देकर मुझे पंसस चुना. वहीं, पंसस सदस्यों के बहुमत से प्रमुख चुनी गई. मुर्मू ने कहा कि उनके प्रतिद्वंद्वी पंसस गुरूपद हांसदा ने शिकायत किया था, जिसमें सरायकेला डीसी सह निर्वाचन पदाधिकारी ने पद को रद्द कर दिया था. डीसी के आदेश को चुनौती देते हुए झारखंड उच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता आरएसपी सिन्हा के माध्यम से याचिका दाखिल कराया गया था, जिसमें उच्च न्यायालय ने विभिन्न कागजातों की जांच करने एवं दोनों पक्षों के दलील को सुनने के बाद मेरे पक्ष में फैसला सुनाया है. विगत 22 नवंबर 2023 को उच्च न्यायालय ने मेरे पक्ष में स्पष्ट निर्णय दिया है कि मेरे पद को रद्द करने का मामला नहीं बनता है. उच्च न्यायालय द्वारा फैसला सुनाने के बाद दो महीने बीत जाने के बावजूद सरायकेला डीसी सह निर्वाचन पदाधिकारी ने प्रमुख पद की जिम्मेदारी नहीं दी है.
अमला मुर्मू ने कहा कि जिला प्रशासन के पदाधिकारी जनता के सेवक न बनकर हेमंत सोरेन और झामुमो पार्टी का सेवक बनकर काम कर रहे हैं. कोई भी काम करने से पूर्व जिला के पदाधिकारियों को झामुमो पार्टी के नेताओं से अनुमति लेना पड़ रहा है. अमला मुर्मू ने कहा कि उनके प्रमुख पद को भी राजनीतिक दबाव में रद्द करवाया गया था और अब उच्च न्यायालय के आदेश का अवहेलना करने के लिए भी डीसी को बाध्य किया गया है. उन्होंने कहा कि उपायुक्त सह निर्वाचन पदाधिकारी के खिलाफ एसटी/ एससी उत्पीड़न तथा कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट का मुकदमा दर्ज कराएंगे. जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट तक इस विषय को लेकर जाएंगे. उन्होंने सवाल खड़ी करते हुए कहा कि हम पूछना चाहते हैं कि क्या जिला प्रशासन उच्च न्यायालय से बड़े हैं ? क्या जिला प्रशासन संविधान को नहीं मानते हैं ? यदि जिला प्रशासन एवं डीसी साहब स्वयं को उच्च न्यायालय और संविधान से बड़ा समझते हैं और यह सोच रहे हैं कि हेमंत सरकार के संरक्षण में वह अपनी मनमर्जी चलाएंगे तो ऐसा सपना देखना बंद कर दें. झारखंड की जनता इतने भी कमजोर नहीं है कि प्रशासन के मनमर्जी को स्वीकार करेंगे. लड़ाई जरूर लड़ेंगे, चाहे परिणाम कुछ भी हो.
अमला मुर्मू ने कहा कि मेरा मानना है कि जिला प्रशासन के अधिकारियों को जब जनता के लिए काम नहीं करना है और उन्हें केवल राजनीतिक पार्टी के लिए काम करना है तो उन्हें अपने ऑफिस में झामुमो का झंडा ही लगा देना चाहिए, इससे कम से कम आम जनता को स्पष्ट पता चलेगा कि हमारे जिला अथवा प्रखंड में बैठा अधिकारी आम जनता की सेवा के लिए नहीं बल्कि हेमंत सोरेन का झंडा ढोने वाला पदाधिकारी है. वर्तमान में जिला का हर अधिकारी बाहर से अधिकारी है लेकिन अंदरूनी रूप से वह झामुमो का कट्टर कार्यकर्ता है. अमला मुर्मू ने आरोप लगाते हुए कहा कि हर सरकारी कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है. गांव के आदिवासी, दलित, पिछड़ी जाति के लोगों को आवासीय, जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए हजार- दो हजार रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं. हर कार्यालय में पदाधिकारियों का कमीशन निर्धारित है. जैसा काम वैसा कमीशन निर्धारित है.
उन्होंने कहा पिछले एक वर्ष से चांडिल प्रमुख का पद रिक्त हैं, जिसके कारण जनता के काम प्रभावित हो रहे हैं. आज प्रखंड व अंचल कार्यालय में आम जनता भटक रहे हैं, जनता को सुनने वाला कोई नहीं है. अधिकारी अपना मनमानी कर रहे हैं. विकास योजनाओं में लूट हो रहा है, योजनाओं में भी कमीशन निर्धारित है. अधिकारी अपना कमीशन लेकर चुप है और ठेकेदार मनमर्जी काम कर रहे हैं. चांडिल अंचल में सरकारी जमीन को बेचने का मामला सामने आ रहा है. जमीन माफियाओं द्वारा आसनबनी, तमोलिया पंचायत में गरीब आदिवासियों की जमीन लूटी जा रही है. चांडिल बाजार की स्थिति बद्दतर हो चुकी हैं. चांडिल बाजार में नाली की सफाई नहीं हो रही है, जनता के लिए शौचालय की सुविधा भी नहीं है. क्या इन सब समस्याओं को देखना प्रशासन का काम नहीं है ? सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना में भरपूर लूट हो रहा है, भ्रष्टाचार हो रहा है. गरीब विस्थापितों का काम नहीं होता है लेकिन विचौलियों का काम पहले होता है, जिसपर प्रशासन चुप है. यह सबकुछ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम आदिवासियों ने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में योगदान दिया है. हमारे पूर्वजों ने प्राण बलिदान देकर देश को स्वाधीनता दिलाई है. हमलोग जिला प्रशासन के एक- एक अधिकारी को चिन्हित कर रहे हैं. हर एक चिन्हित अधिकारी का सार्वजनिक रूप से खुलासा करेंगे, आंदोलन शुरू करेंगे. प्रेस वार्ता में कार्यकारी प्रमुख रामकृष्ण महतो, पंचायत समिति सदस्य रिंकी गांगुली, उर्मिला देवी, ममता महतो, चिंतामणि माहली, माधवी सिंह, आरती महतो, प्रदीप उरांव, परीक्षित महतो, बहादुर कुम्हार आदि उपस्थित थे.