चांडिल: स्वर्णरेखा परियोजना की लापरवाही, प्रशासन की अनदेखी और खबरिया चैनल के भ्रामक रिपोर्ट के बाद पर्दे के पीछे बैठे सफेदपोश के इशारे पर आज चिलगु पुनर्वास स्थल के विस्थापितों के घर व चाहरदीवारी को तोड़ने की तैयारी है. इसको लेकर चिलगु पुनर्वास स्थल पर विस्थापित और रैयतों के बीच खूनी टकराव की प्रबल संभावना है. समय रहते यदि पुलिस व प्रशासन सजग नहीं हुई तो मामला बिगड़ सकता है.
आइए जानते हैं किया है पूरा मामला और क्यों रहना होगा प्रशासन को अलर्ट
दरअसल चांडिल डैम के विस्थापितों के साथ जो अन्याय हो रहा है, उसे जानने पर आपका भी खून खौल उठेगा. आप भी बोल उठेंगे कि यह सरासर अन्याय है. आखिर राज्य की तरक्की और चांडिल डैम निर्माण के लिए अपने पुश्तैनी घर, बाड़ी, जमीन, खेत, खलिहान देकर विस्थापितों ने ऐसा क्या गुनाह किया था, जिसके कारण आज उन्हें अपने वाजिब हक और अधिकार के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. विस्थापित परिवारों के सामने फिलहाल यह समस्या है कि एक तरफ सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना (SMP) द्वारा उन्हें विस्थापित गांवों से हटने को कहा जा रहा है तो दूसरी ओर आवंटित पुनर्वास स्थलों में अतिक्रमणकारियों द्वारा विस्थापितों को परेशान किया जा रहा है. इस मामले में सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अधिकारी गहरी नींद में सोए हुए हैं, ऐसा लगता है कि SMP के अधिकारियों को विस्थापित परिवारों की परेशानी से कोई लेना- देना ही नहीं है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है फिलहाल विस्थापित परिवारों के सामने एक तरफ खाई है तो पीछे आग है, आखिर विस्थापित जाएं तो कहां जाएं ?
दअरसल, सरायकेला खरसावां जिले के चांडिल अंचल अंतर्गत चिलगु में सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना (SMP) द्वारा भूमि अधिग्रहण करके एक पुनर्वास स्थल बनाया गया है. उसी चिलगु पुर्नवास स्थल पर चांडिल डैम के विस्थापित परिवारों को रहने के लिए प्लॉट दी गई हैं. यहां SMP द्वारा भूमि अधिग्रहण करने से पहले तत्कालीन बिहार सरकार द्वारा गैर विस्थापित परिवारों को वही भूमि बंदोबस्ती पर दी गई थी, लेकिन बाद में उक्त भूमि को भूअर्जन ने अधिग्रहण किया और सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना को सौंप दिया है.
अब जब चांडिल डैम का जलस्तर बढ़ने पर विस्थापित गांवों से अपना बोरिया बिस्तर बांधकर विस्थापित परिवार चिलगु पुनर्वास स्थल पर रहने को जा रहे हैं तो पूर्व के बंदोबस्ती धारियों द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा है. विस्थापित परिवारों के घर निर्माण में बाधा उत्पन्न किया जा रहा है, उनके साथ मारपीट की जा रही हैं. चिलगु पुनर्वास में बसे हुए कुछ विस्थापित परिवारों ने बताया कि वे पिछले 30 वर्ष से संघर्ष कर रहे हैं. अब पता चल रहा है कि गुरुवार शाम को तथाकथित बंदोबस्ती धारियों ने विस्थापित परिवारों के घर व चाहरदीवारी को तोड़ने का प्लान तैयार किया है. इस काम में सत्ता पक्ष के लोग, कुछ रसूखदार और एक खबरिया चैनल भी संलिप्त हैं. जब विस्थापित परिवारों के घर व चाहरदीवारी को जबरन तोड़ने का प्रयास किया जाएगा तो स्वाभाविक है कि दो पक्ष में लड़ाई होगी, खूनी संघर्ष की प्रबल संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
यहां पता चल रहा है कि खबरिया चैनल का रिपोर्टर अपने निजी खुन्नस को लेकर मीडिया ट्रायल कर एकतरफा खबर प्रसारित कर प्रशासन को भ्रमित करने का प्रयास कर रहा हैं. प्रशासन को वास्तविकता से दूर रखकर अपनी निजी खुन्नस का बदला लेने के लिए निजी चैनल द्वारा लगातार मीडिया ट्रायल किया जा रहा है.
जानें क्या है पूरा मामला
चांडिल अंचल के चिलगु पुनर्वास स्थल की भूमि को सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना ने अधिग्रहण किया है. उक्त भूमि को पहले स्थानीय लोगों को बंदोबस्ती पर दी गई थी, बाद में उसे अधिग्रहण किया गया है. यानी कि अब वह भूमि सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अधीन है और परियोजना ने चांडिल डैम के विस्थापित परिवारों को घर बनाकर रहने के लिए दिया है. यहां सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना तथा जिला प्रशासन के अधिकारियों की सबसे बड़ी लापरवाही यह है कि भूमि अधिग्रहण के बाद बंदोबस्ती को रद्द नहीं किया या फिर अधिग्रहण के बाद भी भूमि का लगान वसूली जारी है. वहीं, परियोजना द्वारा पुनर्वास स्थल का सीमांकन कार्य को अधूरा छोड़ दिया है. इसके चलते बंदोबस्ती धारियों द्वारा समय समय पर उक्त भूमि पर दावा किया जाता हैं. हालांकि, सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अनुसार खाता संख्या 130, प्लॉट संख्या 578 की संपूर्ण भूमि परियोजना की है, जहां केवल चांडिल डैम के विस्थापित परिवारों को ही रहने का अधिकार है.
हाल ही में बंदोबस्ती धारियों ने चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने चिलगु पुर्नवास की भूमि को अपना बंदोबस्ती भूमि बताया है और उल्टा विस्थापित परिवारों के ऊपर ही अतिक्रमण करने का आरोप लगा दिया है. जैसे ही अनुमंडल पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया तो एक खबरिया चैनल के कथित पत्रकार ने अपनी निजी खुन्नस को लेकर मीडिया ट्रायल शुरू कर दिया. इसके चलते प्रशासन भी भ्रमित हो गई हैं. प्रशासन को भी लग रहा है कि वास्तविक में वह बंदोबस्ती भूमि ही है, जिसपर अतिक्रमण किया जा रहा है, जबकि वह सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना द्वारा अधिग्रहित भूमि है. अब पता चल रहा है कि खबरिया चैनल के साथ साथ कुछ रसूखदार भी शामिल हैं जो अपना वर्चस्व कायम करने के लिए प्रशासन के ऊपर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं. कुल मिलाकर गुरुवार को खबरिया चैनल के प्रतिनिधि तथा कुछ रसूखदारों की शह पर विस्थापित परिवारों के घर चाहरदीवारी को तोड़ने का प्लान बनाया गया है. अब देखने वाली बात होगी कि चांडिल डैम के विस्थापित परिवारों के साथ न्याय होगा या जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस तमाशबीन होकर विस्थापित परिवारों को प्रताड़ित करने का नंगा नाच देखेगी. पिछले साल विस्थापित परिवारों ने सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना तथा प्रशासन को लिखित शिकायत किया था, जिसको लेकर अतिक्रमण हटाने का आदेश भी जारी हुआ था लेकिन आजतक आदेश का पालन नहीं हुआ. अब अतिक्रमणकारियों द्वारा ही विस्थापित परिवारों के ऊपर अतिक्रमण करने का आरोप लगाकर परेशान करना शुरू कर दिया है.
देखें एक साल पूर्व विस्थापितों द्वारा पुनर्वास अधिकारी को दिए गए आवेदन की प्रति
देखें चांडिल अनुमंडल कार्यालय की ओर से चिलगु पुनर्वास स्थल को लेकर जारी आदेश की प्रति