चक्रधरपुर/ Ashish Kumar Verma मंगलवार को चक्रधरपुर प्रखंड के सुरबुडा पंचायत अंतर्गत दरोगासाई तिलोपोदा गांव में ग्राम मुंडा सुखलाल बोदरा की अध्यक्षता में गांव की विभिन्न समस्याओं को लेकर बैठक आयोजित किया गया. बैठक में मुख्य अतिथि पीपुल्स वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव सह समाजसेवी डॉ विजय सिंह गागराई उपस्थित थे.
ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व विधायक जगन्नाथ बांकिरा का गांव का यह पोषक क्षेत्र है. झारखंड अलग राज्य बन कर 23 वर्ष से अधिक हो गया है, मगर अब तक इस क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है. यहां आज भी लोगों को बुनियादी सुविधा नहीं मिल पाई है. ग्रामीणों ने कहा 40 वर्ष पहले सड़क बना था, मगर अब सड़क की स्थिति बहुत ही दयनीय है. सड़क में बड़े- बड़े गड्ढे हो गए हैं. दुर्घटनाएं बराबर होती रहती है, इसलिए दरोगासाईं से लेकर केरा गांव तक 3 किलोमीटर सड़क जानूमबेड़ा- केरा नदी में आवागमन के लिए पुल का निर्माण, दरोगासाईं सरकारी तालाब का जीर्णोद्धार, तालाब में स्नान घाट और पहाड़ का पानी की निकासी के लिए बांदा कुचा से मांगता बोदरा तक नाली का निर्माण कराया जाए.
इसके साथ ही उन्होंने कहा इस गांव में 4 नलकूप है. और यहां 2000 अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं. यहां पेयजल की काफी समस्या है. चारों नलकूप की मरम्मत अविलंब किया जाए, जिससे लोगों को पेयजल मिल सके. सारी समस्या सुनने के पश्चात डॉ विजय सिंह गागराई ने कहा कि तत्काल पेयजल समस्या दूर करने हेतु पीएचडी विभाग से कार्यपालक अभियंता से फोन पर पेयजल समस्या की जानकारी दी और कहा कि जल्द से जल्द इस गांव में जितने भी खराब नलकूप हैं सभी की मरम्मत करा दी जाए.
समस्या से अवगत होने के पश्चात कार्यपालक अभियंता ने आश्वासन दिया कि दो- चार दिन के अंदर ही पेयजल की समस्या दूर की जाएगी. सभी नलकूप बना दी जाएगी. डॉ विजय सिंह गागराई ने ग्रामीणों को कहा तलाब, सड़क, स्नान घाट समेत अन्य बुनियादी सुविधा के लिए उपायुक्त अनन्य मित्तल से मुलाकात कर इस क्षेत्र की समस्या दूर करने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा यहां की सड़क की मांग वर्षों पुरानी और यहां सड़क जरूर बनना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा नदी में पुल और तालाब का जीर्णोद्धार होने से लोगों की समस्या का समाधान हो पाएगा. इसके लिए वे प्रयास प्रयासरत है, और समस्या जरूर दूर होगी.
इस मौके पर हिन्दू बोदरा, रासाय सामड, मुकुल बानरा, बुधन सिंह बानरा, दुलु बोदरा, सुकेन बोदरा, कानूराम बोदरा, सूरज सामड, संतोष बोदरा, बोंजो बोदरा, मोहनलाल बोदरा, गोंडो बानरा, सालुका बोदरा, पोगरो बोदरा समेत काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.