चाईबासा/ Jayant Pramanik पश्चिमी सिंहभूम जिले में खाद्य सुरक्षा जन अधिकार मंच, के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को क्षेत्र के खरसावां, मझगांव व चक्रधरपुर विधायकों ज्ञापन सौंपते हुए मध्याह्न भोजन व आंगनवाड़ी में बच्चों को प्रतिदिन दिन अंडा देने के राज्य सरकार के अधुरे वायदे से अवगत कराया. प्रतिनिधिमंडल ने इसे तुरंत लागू करने की मांग की. विधायकों ने आश्वासन दिया कि वे सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाएंगे. मंच के सदस्यों ने बताया कि इसको लेकर सदर विधायक सह मंत्री दीपक बिरुवा को भी अवगत कराया जाएगा.
प्रतिनिधिमंडल ने कहा राज्य सरकार ने पिछले पांच सालों में कई बार घोषणा किया है कि आंगनवाड़ी में 3- 6 वर्ष के बच्चों को 6 दिन प्रति सप्ताह अंडा मिलेगा और विद्यालयों में मध्याह्न भोजन में बच्चों को 5 दिन अंडा मिलेगा. लेकिन पांच साल बाद भी ये घोषणाएं महज़ वादे तक ही सीमित हैं. एक ओर पश्चिमी सिंहभूम से अरबों रूपए की खनन की जाती है और सैंकड़ों करोड़ रूपए का ज़िला खनिज फण्ड है. दूसरी ओर ज़िले में व्यापक कुपोषण को खत्म करने के लिए सरकार बच्चों को चंद करोड़ राशी खर्च करके हर दिन अंडा नहीं दे पा रही है.
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जन समर्थन से बनी राज्य सरकार बच्चों के पोषण के प्रति इतनी उदासीन है. पश्चिमी सिंहभूम ज़िले में बच्चों में व्यापक कुपोषण है. 2019-21 के सरकारी आंकड़ों (एनएफएचएस-5) के अनुसार ज़िला के पांच वर्ष के कम उम्र के 62% बच्चे कुपोषित है (उम्र के अनुसार वज़न कम है) और 6-23 महीने उम्र के केवल 11% बच्चों को पर्याप्त आहार मिल पाता है. 6- 9 महीने की उम्र के 75% बच्चे खून की कमी के शिकार हैं. ऐसी गंभीर परिस्थिति में बच्चों को अंडा से वंचित रखना अपराध से कम नहीं है. बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए अंडा एक बेहतरीन खाद्य पदार्थ है. इसमें विटामिन सी के अलावा अन्य आवश्यक पोशक तत्व हैं. अंडे न केवल अत्यंत पौष्टिक है बल्कि स्वादिष्ट और किफायती भी है. इससे न केवल पोषण के लिए फाएदा है, बल्कि आंगनवाड़ी व मध्याह्न भोजन में रोज़ अंडा देने से आंगनवाड़ी व विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति भी सुधरेगी. प्रतिनिधिमंडल ने विधायकों को यह भी कहा कि कई बार मीडिया में यह भी खबर आई है कि आंगनवाड़ी में अंडे देने के लिए निजी ठेकेदारों के लिए केंद्रीकृत ठेके की व्यवस्था की जाएगी. केंद्रीकृत ठेके में भ्रष्टाचार और सप्लाई में देरी होनी ही है जिसका असर सीधा बच्चों के कुपोषण पर पड़ेगा. इसलिए ऐसा न करके आंगनवाड़ी कर्मी को स्थानीय स्तर पर ही अंडा खरीदने का पैसा दिया जाए, जैसा विद्यालयों में वर्तमान में होता है. प्रतिनिधिमंडल में अशोक मुंडरी, अजीत कांडेयांग, बोदराम सुंडी, चर्चिल सवैयाँ, डोबरो बारी, धनि हंसदा जयंती मेलगंडी, लक्ष्मण तामसोय, मांझी मुंडरी, राजेश प्रधान, संदीप प्रधान, सुरेश जोंको शामिल थे.