चाईबासा/ Jayant Pramanik पश्चिमी सिंहभूम जिले के सभी वनरक्षी विभिन्न मांगों को लेकर शुक्रवार से अनिश्चित्कालीन हड़ताल पर चले गए हैं. बताया जाता हैं कि 07 अगस्त को झारखण्ड राज्य कैबिनेट द्वारा झारखण्ड राज्य अवर वन क्षेत्रकर्मी संवर्ग नियमावली, 2024 को स्वीकृत किया गया है, जिसमें 50 प्रतिशत वनपाल के पदों पर सीधी भर्ती की अनुशंसा की गई है. जो झारखण्ड राज्य अवर वन क्षेत्रकर्मी संवर्ग नियमावली, 2014 के कण्डिका 15 (vii) के प्रावधान के विपरित प्रोन्नति को प्रभावित करने हेतु अलाभकारी संशोधन किया गया है, जिससे राज्य के समस्त वनरक्षियों में रोष व्याप्त है.
नियमावली में अलाभकारी संशोधन न करने हेतु पूर्व में विभाग एवं सराकर को कई बार पत्राचार किया गया एवं अपनी बातों को रखने हेतु शिष्टमंडल वार्ता हेतु अनुरोध किया गया था, परन्तु विभाग और सरकार ने उनकी बातों को न मानकर नियुक्ति नियमावली 2024 को स्वीकृत किया है. साथ ही इस विभाग में उनकी सेवा काल को आज सात साल पूर्ण हो गये हैं, परन्तु आज तक उन्हें प्रधान वनरक्षी के पद में प्रोन्नति नहीं दिया गया है. हड़ताली वन रक्षियों ने सरकार से यह मांग करते हुए कहा कि 5 साल पूर्ण होने की तिथि से हमें प्रोन्नति का लाभ मिलना चाहिए. इन मुद्दों के अलावा पोड़ाहाट वन प्रमण्डल के वनरक्षियों की समस्याओं के सामाधन की भी मांग की है.
हड़ताली वन रक्षियों ने बताया कि वन प्रमण्डल पदाधिकारी के प्रतिशोध पूर्ण रवैये के कारण पिछले लगभग पांच महीने से उनका वेतन रोक कर रखा गया है जो कि वन सेवा संहिता के विपरीत है. जिले के समस्त वनरक्षी अतिसंवेदनशील माहौल में अपने विभागीय कार्यों का निष्पादन करते हैं तथा सुदूरवर्ती इलाके में पदस्थापित हैं. इन्होंने सरकार से फ़िक्स्ड टीए, और दस हजार रुपए वर्दी भत्ता देने की मांग की है. बताया कि वर्त्तमान में विभाग लगभग वनपाल विहीन है एवं हमारे ही वनरक्षी साथियों को प्रभारी वनपाल बनाकर विभागीय कार्यों का निष्पादन एनकेन प्रकारेण कराया जा रहा है. अधिकारियों द्वारा हमारे पदोन्नति को लेकर यह कहा जाता है कि हम प्रशिक्षित नहीं हैं, परन्तु वही अधिकारी वनपाल का प्रभार देते वक्त बातें भूल जाते हैं. विभाग पूरे राज्यभर में वनपाल के संपूर्ण पदों को कितने दिनों तक प्रभार में चला सकता है. इसकी जानकारी किसी अधिकारी के पा नहीं है. इन्होंने साफ कर दिया है कि जब तक सरकार नियुक्ति नियमावली, 2024 में अलाभकारी संशोधन को वापस नहीं करती है, तब तक समस्त वनरक्षी अनिश्चित्कालीन हड़ताल पर रहेंगे.