चाईबासा: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहादत दिवस के रुप में मंगलवार को कांग्रेस भवन , चाईबासा में मनाया गया. मौके पर उनके चित्र के समक्ष दो मिनट का मौन रखकर प्रार्थना सभा व महात्मा गांधी के विचारों पर संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया. कांग्रेसियों ने महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया.
मौके पर कांग्रेसियों ने एक स्वर में कहा कि महात्मा गांधी की काया नहीं है, लेकिन उनके विचार ऐसे है, जो अभी भी अमर है. गांधी एक राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने देश में स्वतंत्रता की लड़ाई आने वाली पीढ़ियों के लिए लड़ा. उनके संघर्ष का औजार सत्य और अहिंसा था. उन्होंने कहा कि सत्य को उन्होंने भगवान माना और अहिंसा उनका अस्त्र था. उनका प्रिय भजन वैष्णव जन को जिसका मतलब है कि अच्छा इंसान वही होता है, जो दूसरे की पीड़ा को समझता हो. हमें गांधी का अनुयायी बनना है. उनके आदर्शों पर चलना है. आजादी की लड़ाई में जितनी आवश्यकता महात्मा गांधी की थी, उनके विचारों- आदर्शों की ज्यादा जरुरत आज महसूस होती है.
उनका यह वचन ईश्वर अल्ला तेरे नाम, सबको सनमती दे भगवान, महात्मा गांधी का यह संदेश आज भी अत्याधिक प्रासंगिक है.
गांधी के विचारों पर व्याख्यान देते हुए आगे कांग्रेसियों ने कहा कि पहले बापू बने, फिर महात्मा बने और फिर राष्ट्रपिता बने. उनका असहयोग आंदोलन चम्पारण से अंग्रेजों के खिलाफ अत्याचार का सबसे बड़ा आंदोलन बना था. नमक सत्याग्रह, सवज्ञा आंदोलन और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन ने अंग्रेजो को बाहर का रास्ता दिखा दिया. गांधी द्वारा चलाया गया आंदोलन काफी अनुशासित था और ब्रिटिश सरकार जो कि उस समय दुनिया का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र उनके खिलाफ अहिंसा के ताकत लड़ना सदी के सबसे बड़ा आंदोलन का हथियार बना.
मौके पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर दास, त्रिशानु राय, जितेन्द्रनाथ ओझा, कैरा बिरुवा, रंजीत यादव, डॉ. नंदलाल गोप, लियोनार्ड बोदरा, दिकु सावैयां, संतोष सिन्हा, गुरुचरण सोनकर, यशवीर बिरुवा,
सकारी दोंगो , महिला नेत्री अनिता सुम्बरुई, जामबी कुदादा, जया सिंकु, जगदीश सुंडी, क्रांति प्रकाश, सुरेश सावैयां, जुरिया बोयपाई, विक्रमादित्य सुंडी, शरण पान, गणेश कोड़ाह, सिद्धेश्वर कालुण्डिया, सुशील दास, फरदीन करीम आदि उपस्थित थे.