राज्य में कोविड प्रोटोकॉल लागू है. सामाजिक दूरी और मास्क का प्रयोग अनिवार्य है. 50 से अधिक लोगों के साथ सार्वजनिक रूप से मजमा लगाने पर सख्त पाबंदी है. मगर ये सभी नियम कानून और सख्तियां साधारण लोगों के लिए बने हैं. जी हां ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आम लोग अगर बगैर मास्क के बाजार में या सार्वजनिक स्थलों में घूमते नजर आ जाते हैं, तो पुलिस और प्रशासनिक पदाधिकारी उनके साथ कैसा सलूक करते हैं यह किसी से छिपा नहीं है, लेकिन राजनीतिक दलों के लोग खुलेआम कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हैं उन पर कार्यवाई करने वाला कोई नहीं. यहां तक कि पुलिस और प्रशासनिक पदाधिकारियों के सामने से वे गुजर जाते हैं, और उनका बाल भी बांका नहीं होता.
हम बात कर रहे हैं जमशेदपुर भाजपा युवा इकाई का. जहां शुक्रवार को भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा राज्य में गिरती कानून व्यवस्था को लेकर सीएम हेमंत सोरेन का पुतला फूंका गया और उनके इस्तीफे की मांग की गई. लगभग 200 से भी अधिक भाजपाई जुलूस की शक्ल में साकची गोल चक्कर पर पहुंचे. इतना ही नहीं इन युवाओं का जोश इतना उफान मार रहा था, कि मीडिया कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों को भी इन्होंने नहीं बख्शा और उनके साथ भी धक्का-मुक्की करते हुए आगे निकल पड़े. ना सोशल डिस्टेंसिंग, ना ही चेहरे पर मास्क. जुनून ऐसा, कि अगर सीएम सामने आ जाएं तो भाजपाई उनसे अभी के अभी हिसाब ले ले. ये कैसा कानून और कैसा विरोध. जिसमें आप इस कदर अंधे हो जाते हैं, कि आपको सामने वाला नजर ही नहीं आता. चलिए लोकतंत्र है यहां सब को अपनी बात रखने का अधिकार है, लेकिन कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करना भी सभी का अधिकार होना चाहिए, केवल आम लोगों के लिए नहीं.
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