सरायकेला: शनिवार को भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा होने के बाद नाराज नेताओं का पार्टी के खिलाफ गुस्सा फूटने लगा है. भाजपा नेता बास्को बेसरा ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. प्रदेश अध्यक्ष को भेजे इस्तीफे में श्री बेसरा ने कहा है कि वे निजी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं. फिलहाल श्री बेसरा एसटी मोर्चा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य थे.
प्रदेश अध्यक्ष को भेजे त्यागपत्र में उन्होंने लिखा है “अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य एवं भाजपा के सक्रिय सदस्य के रूप में मेरी भूमिका सक्रिय रूप से जारी रही है परंतु कुछ निजी कार्यों के कारण अब मैं अपनी सेवाएं देने में असमर्थ हूं. अतः श्रीमान से आग्रह है कि मुझे प्रदेश कार्यसमिति सदस्य समेत पार्टी के तमाम जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाए. इसे मेरा त्यागपत्र भी माना जाए.”
वैसे बास्को बेसरा की आगे की क्या रणनीति है इसका उन्होंने खुलासा नहीं किया है. विदित हो कि बास्को बेसरा हर पांच साल में पार्टी बदलते रहे हैं. हर बार उनका यह बयान आता है कि यह मेरा अंतिम पड़ाव है मगर चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद सबसे पहले पार्टी से किनारा कर लेते हैं. श्री बेसरा इससे पहले खरसावां और सरायकेला विधानसभा से कांग्रेस और आजसू के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं. दोनों में उनकी करारी हार हुई है. इस बार भी वे इस उम्मीद से थे कि पार्टी उन्हें अपना उम्मीदवार बनाएगी मगर पार्टी ने शनिवार को प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है. वैसे पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के तुरंत बाद ही गम्हरिया में आयोजित कार्यक्रम के दौरान बास्को बेसरा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ मुलाकात की थी. जिसे उन्होंने शिष्टाचार मुलाकात बताया था. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि बास्को बेसरा किधर का रुख करते हैं. हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. चंपई सोरेन के पार्टी छोड़कर जाने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास उनके कद का कोई दूसरा नेता नहीं है. ऐसे में कयास लगाए जा सकते हैं कि बास्को झामुमो का दामन थाम सकते हैं.
गणेश का भी पार्टी से हुआ मोह भंग: फेसबुक पर पोस्ट कर निकाली भड़ास
इस फेहरिस्त में भाजपा नेता गणेश महाली का भी नाम सामने आ राहा है. टिकट नहीं मिलने से नाराज गणेश ने भी रांची का रुख किया है. अपने फेसबुक पेज पर महाली ने पोस्ट कर लिखा है “गर तुझको गुरुर सत्ता कि इस कदर तो हमको भी तख्ता पलटने का हुनर आता है. जय झारखण्ड” बता दें कि गणेश महाली पिछले 25 साल से बीजेपी से जुड़े हैं और दो- दो बार पार्टी ने उन्हें सरायकेला से टिकट दिया मगर चंपाई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने खरसावां का रुख किया वहां भी महाली कि उम्मीदवारी पर पार्टी अलाकमन ने विचार नहीं किया और खरसावां से सोनाराम बोदरा को टिकट थमा दिया. सोनाराम बोदरा ने भी चंपाई सोरेन के साथ बीजेपी का दामन थामा है. टिकट न मिलने से गणेश महाली ने झामुमो का रुख कर लिया है. उनका भगवा प्रेम अब समाप्त हो चुका है और अब वे जेएमएम से टिकट कि जुगत भिड़ाने में जुट गए है. वैसे तीन दिन पूर्व ही एसी हवा उड़ी थी कि सरायकेला से गणेश महाली हो सकते हैं झामुमो का उम्मीदवार जिसपर गणेश महाली और भाजपा जिलाध्यक्ष उदय सिंहदेव ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उसे अफवाह बताते हुए सिरे से ख़ारिज किया था. मगर अब गणेश महाली ने खुलकर बगावत कर दिया है.
क्या फिर टूटेगा झामुमो!
इधर झामुमो के जमीनी नेताओं में बाहरी प्रत्याशी उतारने से नाराजगी नजर आने लगी है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पार्टी छोड़कर जाने के बाद पार्टी के बड़े नेताओं ने काफी माशक्कत से पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं को एकजुट किया और बीजेपी से लोहा लेने कि तैयारी एन जुट गए. जिला से लेकर नगर कमेटी का गठन कर सभी कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया. भुगलू उर्फ़ डब्बा सोरेन, कृष्णा बास्के, रामदास हांसदा सारीखे पार्टी के समर्पित नेता चुनाव कि तैयारी में जुट गए. ऐसे में बास्को बेसरा और गणेश महाली पर यदि पार्टी दांव लगाती है तो पार्टी के जमीनी कार्यकर्ता का क्या रुख रहेगा इस सवाल के जवाब में नाम नहीं छापे जाने कि शर्त पर पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि यदि बाहरी प्रत्याशी दिया गया तो जेएमएम में फिर से फूट होगी और झामुमो इस सीट को गंवा देगी. उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि जिस गणेश महाली को भाजपा प्रचंड मोदी लहर में नहीं जिता सकी उसका श्रेय झामुमो के जमीनी नेताओं और कार्यकर्ताओं को ही जाता है. हम न बास्को बेसरा का समर्थन करेंगे न गणेश महाली का.