आज धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा का 121 वां शहादत दिवस है. आज ही के दिन 1900 में महज 25 साल की उम्र में रांची जेल में भगवान बिरसा मुंडा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. हालांकि आज तक भगवान बिरसा मुंडा के मौत का स्पष्ट आंकड़ा ना तो झारखंड सरकार जुटा सकी है, न इतिहास के किसी पन्ने में उनके मौत का कोई सटीक प्रमाण ही उपलब्ध है. झारखंड अलग राज हुए 21 साल बीत चुके हैं, लेकिन अब भी भगवान बिरसा राज्य के लिए प्रासंगिक नायक बने हुए हैं. आज पूरा राज्य उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर उनके बताए आदर्शो पर चलने का प्रण ले रहा है. भगवान बिरसा ने महज 25 साल की उम्र में अंग्रेजी हुकूमत को नाको चने चबवा दिए थे. जमशेदपुर के बिरसा नगर स्थित भगवान बिरसा की प्रतिमा पर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय, घाटशिला विधायक रामदास सोरेन, सामाजिक कार्यकर्ता चंदन यादव एवं भाजपा नेता पवन अग्रवाल ने भगवान बिरसा की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके बताए आदर्शो पर चलने की प्रेरणा ली. विधायक सरयू राय ने भगवान बिरसा के संघर्षों की व्याख्या करते हुए उन्हें धर्मांतरण का धुर विरोधी बताया और आदिवासियों से उनका अनुसरण करते हुए अपने वास्तविक धर्म का पालन करने की अपील की. वहीं चंदन यादव ने जल जंगल जमीन की रक्षा करने के लिए भगवान बिरसा के संघर्षों को जीवन में आत्मसात किए जाने की अपील की. घाटशिला विधायक रामदास सोरेन ने धरती आबा भगवान बिरसा को नमन करते हुए राज्य के आदिवासियों के लिए सीएनटी/ एसपीटी एक्ट लागू कराया, जिसका परिणाम है, कि आज राज्य के आदिवासियों को उनका अधिकार मिल रहा है.
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