DESK बिहार में यदि शराबबंदी समाप्त करानी है तो इसके लिए वहां की जनता को अगले विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी “हम” के कम से कम 40 विधायकों को जिताना होगा. यह कहना है पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का.
दरअसल मांझी ने एक बार फिर बिहार में शराबबंदी खत्म करने की मांग की है. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि नीतीश कुमार ही वह शख्स हैं जो वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बने तो गांव- गांव और पंचायत- पंचायत शराब की दुकानें खुलवाये. नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही बिहार में लोगों ने ज्यादा शराब पीनी शुरू की. लेकिन अब उन्होंने शराबबंदी कर दी है. इससे गरीब लोगों पर आफत आ गई है. जो आदमी 250 और 500 ग्राम शराब पीता है उसे पुलिस गिरफ्तार करती है. वहीं अमीरों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. मांझी ने कहा कि वे भी शराबबंदी के समर्थक रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार को चादर उतना ही तानना चाहिए जिससे वह फटे नहीं. मांझी ने दावा किया कि रात 10 बजे के बाद विधायक हो या एसपी, कलेक्टर हो या जज बड़ी संख्या में ऐसे लोग शराब पीकर चलते हैं. लेकिन पुलिस इन लोगों को नहीं पकड़ती है बल्कि पाव और आधा किलो पीने वाले गरीबों को पकड़ती है. उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा अगर आगामी विधानसभा चुनाव में 40 विधायकों के साथ जीत जाती है तो बिहार में शराबबंदी खत्म कर देंगे. बिहार में भी गुजरात की तरह मॉडल लागू होगा. उन्होंने साफ कहा कि सीएम नीतीश से वे पहले भी शराबबंदी की समीक्षा की मांग कर चुके हैं और फिर से यही मांग करते हैं क्योंकि इससे गरीब लोगों की परेशानी बढ़ी है.
बता दें कि बिहार में अप्रैल 2016 से लागू शराबबंदी के बाद से राज्य में साढ़े 10 लाख से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई है. इतना ही नहीं 7 लाख से ज्यादा अपराधिक मामले भी दर्ज किए गए हैं. यह आंकड़ा बिहार सरकार की ओर से जारी किया गया है. बावजूद इसके राज्य में शराब की तस्करी का खेल जारी है. तमाम सख्तियों के बाद भी सिर्फ वर्ष 2023 में राज्य में 39.63 लाख लीटर शराब जब्त की गई है. हाल ही पेश हुए राज्य बजट में मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग से जुडी पिछले वर्षों की कर्रवाई के विवरण में यह सामने आया है. इसमें कहा गया है कि मद्यनिषेध नीति के सफल कार्यान्वयन हेतु अप्रैल, 2016 से नवम्बर, 2023 तक पुलिस एवं मद्यनिषेध पदाधिकारियों द्वारा छापेमारी करते हुए कुल 7 लाख 9 हजार 406 अभियोग दर्ज किया गया.
मांझी यहीं नहीं रुके. उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव को भी जमकर लताड़ा. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रहे हैं. विरोधी दल के नेता के रूप में उन्हें सदन में रहना चाहिए लेकिन वे इस समय राज्य के जिलों का दौरा कर रहे हैं. तेजस्वी को बजट सत्र में जनता की बातों को उठाना चाहिए था लेकिन वे सियासी यात्रा कर रहे हैं. यह दिखाता है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रहे हैं. बिहार में कामों का क्रेडिट लेने को लेकर तेजस्वी और सीएम नीतीश के बीच चल रही जुबानी जंग पर भी मांझी ने तेजस्वी को लताड़ा. उन्होंने कहा कि संविधान में उप मुख्यमंत्री का कोई पद नहीं होता है. तेजस्वी भी नीतीश सरकार में सिर्फ मंत्री के रूप में थे, मुख्यमंत्री ही सरकार के प्रमुख होते हैं. इसलिए काम का क्रेडिट भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही जाएगा.