पटना: पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल नहीं रहे. रविवार तड़के हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया है. जानकारी के अनुसार उन्हें हार्ट अटैक आया था. जिसके बाद तुरंत उन्हें महावीर वत्सला अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया. किशोर कुणाल एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी थे और अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक थे.
किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूलिंग मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव से की. 20 साल बाद, उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में ग्रेजुएशन किया. वे 1972 में गुजरात कैडर से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी बने और आनंद के पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात हुए. वहां से वे 1978 में अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बने. वह संस्कृत अध्येता भी थे. 1983 में उन्हें प्रोमोशन मिला और वे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर पटना में तैनात हुए. कुणाल ने 1990 से 1994 तक गृह मंत्रालय में ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी के पद पर काम किया. एक आईपीएस अधिकारी के रूप में कुणाल पहले से ही धार्मिक कार्यों में शामिल थे. 2001 में कुणाल ने स्वेच्छा से भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया. सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया. किशोर कुणाल महावीर मंदिर ट्रस्ट पटना के सचिव भी थे और इससे पहले महावीर आरोग्य संस्थान के सचिव थे. जिसमें वे गरीबों के लिए स्वास्थ्य सेवा में सुधार से जुड़े थे. उन्होंने पटना में ज्ञान निकेतन स्कूल की भी स्थापना की. वीआरएस लेने के बाद उन्होंने केएसडी संस्कृत यूनिवर्सिटी दरभंगा के कुलपति का पद संभाला. 2004 तक वे इस पद पर रहे. बाद में वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (BSBRT) के प्रशासक बने और प्रचलित जातिवादी धार्मिक प्रथाओं में सुधार की शुरुआत की. 1972 बैच के गुजरात कैडर के अधिकारी कुणाल बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष थे. वह पटना के महावीर मंदिर के संस्थापक हैं. इस समय वह पटना के महावीर मंदिर न्यास के सचिव थे. वह पटना के ज्ञान निकेतन नामक प्रसिद्ध विद्यालय के संस्थापक भी है. किशोर कुणाल ने संस्कृत भाषा में पढ़ाई पूरी की. संस्कृत और इतिहास से भारतीय पुलिस सेवा में चयन होने के बाद उन्होंने अपनी पहली पहचान एक कड़क पुलिस अधिकारी के रूप में बनाई. पटना के एसपी के तौर पर वह पटना जंक्शन स्थित महावीर मंदिर से जुड़े. एक नवंबर 1987 से महावीर मंदिर का ट्रस्ट बनाकर समाजसेवा की शुरुआत की. जब महावीर मंदिर से जुड़े तो उस वक्त मंदिर की आय सालाना 11 हजार रुपये की थी. आज मंदिर का बजट 212 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है. यह मंदिर अकेले धार्मिक न्यास बोर्ड को 55 लाख रुपये का वार्षिक शुल्क अदा करता है. कुणाल का कहना था कि हिन्दू धर्म की परोपकार नीति से प्रेरित होकर ट्रस्ट ने 1 जनवरी 1989 को राजधानी के किदवईपुरी में पहला अस्पताल स्थापित किया. इसके बाद चिरैयाटांड में इसे विस्तारित किया गया. वर्तमान में महावीर आरोग्य अस्पताल सामान्य बीमारियों के उपचार के लिए काफी प्रसिद्ध है. यह अस्पताल नेत्र रोगों के इलाज में भी विशेष पहचान रखता है. महावीर मंदिर ट्रस्ट ने 12 दिसंबर 1998 को राजधानी में कैंसर के उपचार के लिए महावीर कैंसर अस्पताल की स्थापना की. इससे पहले बिहार के मरीजों के पास कैंसर के इलाज के लिए केवल दिल्ली या मुंबई जाने का विकल्प था. महावीर कैंसर अस्पताल के उद्घाटन के बाद मरीजों को रियायती दर पर कैंसर के उपचार की सुविधा उपलब्ध होने लगी.