RANCHI मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस केपी देव की अदालत ने आवास बोर्ड के सचिव को निलंबित करने का आदेश दिया है.
इसके साथ ही अदालत ने अपने आदेश में झारखंड राज्य आवास बोर्ड में पदस्थापित सभी इंजीनियरों की संपति, उनके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से उनकी अर्जित की गई संपति की जांच का आदेश दिया है. अदालत ने यह निर्देश दिया है कि उक्त अधिकारियों की संपति से संबंधित जांच रिपोर्ट छह सप्ताह में कोर्ट के समक्ष सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत की जाये.
झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस केपी देव की अदालत में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने बोर्ड के सचिव की कार्यशैली पर कड़ी नाराज़गी जाहिर की. कोर्ट ने उन्हें निलंबित करने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने आवास बोर्ड के सचिव जॉर्ज कुमार के पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदारों और मित्रों के नाम से अर्जित की गई संपति की जांच का भी निर्देश एसीबी को दिया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने एफिडेविट के माध्यम से यह जानकारी मांगी है कि आवास बोर्ड की संपति से कितने अतिक्रमण हटाए गए ? अतिक्रमण हटाने में क्या- क्या बाधाएं आती हैं ? दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट डॉ शशि लाल और राजेंद्र राम की ओर से दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान अदालत ने बार- बार समय लेकर भी आवास बोर्ड की सम्पति पर हुए अतिक्रमण की जानकारी नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताई. वहीं हाईकोर्ट के आदेश के बाद आवास बोर्ड महकमे में खलबली मच गई है. वैसे देखना यह दिलचस्प होगा कि अदालत के आदेशों पर तामिला कबतक होती है.
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