सरायकेला: भारत सरकार के जनजातीय मामले मंत्रालय द्वारा संचालित जनजातीय संग्रहालय भुवनेश्वर का एक प्रतिनिधिमण्डल सरायकेला- खरसावां और पूर्वी सिंहभूम जिले के दौरे पर झारखंड पहुंचा.
35 सदस्यीय इस प्रतिनिधिमंडल में भारतीय आदिवासी भूमिज समाज उड़ीसा के प्रदेश कमिटी के सदस्य भी शामिल हैं.
उक्त प्रतिनिधिमंडल दोनों ही जिलों में जनजातीय संस्कृति, परंपरा, भाषा, पर्व, धार्मिक स्थलों एवं पूजा पद्धति पर गहन जानकारी लेते हुए शोध करेंगे. आगंतुकों का स्वागत झारखंड के प्राकृतिक फूल पलाश से बने गुलदस्ते देकर स्वागत किया गया. इस क्रम में शनिवार को प्रतिनिधिमंडल ने सरायकेला- खरसावां जिला के आकर्षिणी मंदिर का दौरा किया. विदित हो कि आकर्षिणी मंदिर में उत्पत्ति के समय से ही भूमिज लाया ( पुजारी) के द्वारा पूजा अर्चना की जाती रही है. उपरोक्त जानकारियां साझा करते हुए भारतीय आदिवासी भूमिज समाज के जिलाध्यक्ष सोनू सरदार ने कहा, कि समाज के स्थानीय पदाधिकारियों का एक दल भ्रमणकारी प्रतिनिधिमंडल का न केवल मार्गदर्शन कर रहा है, बल्कि उनके दौरे की समुचित व्यवस्था भी कर रहा है. शनिवार को प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने आकर्षिणी मंदिर के भूमिज लाया (पुजारी) से मुलाकात कर वहां की संस्कृति, परंपरा और पूजा पद्धति की विस्तृत जानकारी ली. दौरे के दूसरे दिन रविवार को प्रतिनिधिमंडल ने जिले के निश्चिंतपुर स्थित चाडरी पाट पूजा स्थल एवं दलमा के प्रसिद्ध पाट शिव थान का दौरा किया. यहां भी आदिकाल से भूमिज लाया द्वारा पूजा की जाती है. इसके अलावा उन्होंने पूर्वी सिंहभूम के लावजोड़ा (हाथी खेदा) और रंकिणी मंदिर (पापड़ गादी)का भी दौरा किया. इस दौरान उन्होंने तमाम स्थलों पर आदिवासियों के इतिहास, परंपरा, पर्व, रहन- सहन, उपासना एवं पूजा पद्धति के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की. सरदार ने आगे बताया कि टीम सोमवार को पूर्वी सिंहभूम के ही हरिणा स्थित दिशुम हादी (भूमिज देसवा सरहुल) का दौरा करेंगे. जहां वे जनजातियों द्वारा त्यौहार, खासकर सरहुल आदि मनाने की पद्धति, परिवेश, परंपरा और संस्कृति की जानकारी प्राप्त करेंगे. प्रतिनिधिमण्डल की अगवानी में समाज के कालीचरण सरदार, गोपाल सरदार, युधिष्ठिर सरदार, मेयालाल सरदार, जयसिंह भूमिज, रवींद्र सरदार एवं दलमा पाट पूजा समिति के सदस्य सहयोग कर रहे हैं.