औरंगाबाद (दीनानाथ मौआर) सोमवार को जिले के दानी बीघा बस स्टैंड के पास फॉरवर्ड ब्लॉक क्रांतिकारी पार्टी द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126 वीं जयंती मनायी गयी. जहां पर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया और नेताजी को याद किया तथा उनके बिचार धरा को आम जन मानस के बीच रखा.


वक्ताओं ने अपने अनुभव के अनुसार नेता जी के जीवन चरित्र पर भी प्रकाश डाला. वहीं इस पार्टी के प्रांतीय अध्यक्ष राम गोविंद सिंह से जब बात किया गया तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में बताया है कि आज भी हमारा देश आजाद नहीं है. आजादी का नाम देकर लोगो को भ्रमित किया जाता है. 1947 को आजादी नहीं मिली थी वह तो गोरे अंग्रेज और काले अंग्रेजों के बीच में एक समझौता हुई थी. उन्होंने यह भी कहा कि उसी समझौता के तहत अंग्रेजो द्वारा 99 सालों के लिए काले अंग्रेजों को लीज पर दिया गया था, जिसके एवज में इंग्लैंड सरकार को आज भी मेरा देश समझौता पत्र के अनुसार तय की गई राशि इंग्लैण्ड सरकार को भेजी जाती है. उन्होंने कई रहस्य समाज के बीच रखा, जो समझौता पत्र मे अंकित है और स्पष्ट शब्दों में कहा, कि आखिर अंग्रेजों के साथ जो समझौता हुई थी उसको आज तक भारत सरकार क्यों नहीं सर्वजनीक करना चाहती है. क्या है आखिर इसके पीछे का कारण सरकार उजागर करे. उन्होंने यह भी बताया है कि समझौता पत्र के तहत 1999 में इस समझौता पत्र को सार्वजनिक करना था कि किस ग्राउंड पर अंग्रेजो के साथ समझौता हुई थी, लेकिन 1997 में भारत में इंद्र कुमार गुजराल की सरकार बनी और उन्हों ने इसके ऊपर 20 साल के लिये समझौता पत्र को सर्वजनीक करने पर रोक लगा दिया था, लेकिन आज उसकी अवधि भी समाप्त हो गई. वर्तमान सरकार भी उस समझौता पत्र को सार्वजनिक नहीं कर रही है. इसके लिए उन्होंने भारत सरकार से समझौता पत्र को सार्वजनिक करने की मांग की है.
जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आप भारत को आजाद भारत मानते है. तो उन्हों ने साफ शब्दो में कहा कि न मैं अपने देश को आजाद मानता हूं और न हीं मैं भारतीय संविधान को मानता हूं, क्योंकि जो संपत्ति लीज पर लिया गया हो वह अपना नहीं होता. उन्होंने एक अंग्रेजी पुस्तक का हवाला देते हुये कहा कि यह पुस्तक एक अंग्रेज लेखक का लिखा हुआ है जिसमे गाँधी तथा गांधीवादियो के साथ अंग्रेजो के बीच हुए समझौते का उल्लेख किया गया है. उसमें साफ शब्दों में लिखा गया है कि भारत आजाद नहीं बल्कि हम भारत को 99 साल के लिये लीज पर दे रहे हैं. उस समझौता पत्र में कई शर्ते भी अंकित है, जिसका आज भी भारत सरकार अमल करती है. आज भी भारत सरकार 10 अरब रुपये प्रति वर्ष इंग्लैण्ड को कर के रूप में धन देता है. वहीं कई हजार टन खाद्य पदार्थ भी नि:शुल्क भेजा जाता है, जो समझौता पत्र पर अंकित है.
उन्होंने राजनीतिक पार्टियों को आड़े हाथ लेते हुये कहा कि क्या लीज पर लिया गया सम्पति कभी अपना होता है ? आज राजनीतिक पार्टियां उसे आजादी करार देकर लोगो को गुमराह कर रही है. उन्होंने भारत सरकार को खुली चुनौती दिया है कि अगर इस तरह की बात नहीं है तो 1947 में हुए अंग्रेजो के साथ समझौता पत्र को सर्वजनिक करे भारत सरकार.
बाईट
रामगोविंद सिंह
