औरंगाबाद/ Dinanath Mouar जिले की महिलाओं ने आज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत का पूजा बड़ी धूम धाम से किया. आपको बता दें कि आज महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
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मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा- अर्चना करने से सुखद वैवाहिक जीवन और संतान की प्राप्ति होती है. हरतालिका तीज व्रत सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं. इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर के लिए किया था. जिसके कारण वह अखण्ड सुहागवती मानी जाती है. जिसको लेकर सुहागिनों के लिए यह सबसे बड़ा पर्व हरतालिका तीज मानी जाती है.
इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करते हुए महिलाएं निर्जला रहकर अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं. हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. आज के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, और माता पार्वती के पूरे परिवार की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर, घर के मंदिर में स्थापित करती हैं और बड़े ही श्रद्धा के साथ माता पार्वती का अद्भुत श्रृंगार किया जाता है. वही महिलाएं भी अपनी हाथों पर मेहंदी रचाती हैं और सोलहो सिंगार में सज धज कर रात में माता गौरी की पूजा अर्चना करती हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार अगर किसी लड़की की शादी में देरी हो रही है तो उसे तीज का व्रत जरूर करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि तीज का व्रत करने से जल्द विवाह के योग बनते हैं. तीज के दिन ही देवों के देव महादेव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था जबकि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 जन्मों तक तपस्या किया था. तब जाकर भगवान भोलेनाथ माता पार्वती के कठिन तप से प्रसन्न होकर उन्होंने 108 वें जन्म में माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. तीज के दिन महिलाए प्रसाद के रूप में पेडकिया, केला, सेब, अनरसा को भगवान शिव को प्रसाद के रूप में समर्पित करती है और अनुष्ठान पूरा होने के बाद सुबह जौ का सत्तू खाकर अनुष्ठान को समाप्त करती है.
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