औरंगाबाद/ Dinanath Mouar भगवान भास्कर की नगरी देव में 23 अप्रैल से आयोजित सूर्य महायज्ञ के चौथे दिन देव पहुचे श्री रामभद्राचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान देव सूर्य मंदिर के निर्माण से संबंधित चली आ रही किवंदतियों से अलग हटकर एक नए तथ्य से दूर- दराज से आए श्रद्धालुओं को अवगत कराया.
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उन्होंने बताया कि देव सूर्य मंदिर का निर्माण खुद भगवान राम ने करवाया था. इस संबंध में उन्होंने बताया कि रावण को मारकर भगवान राम मिथिला आए और इस दौरान उन्होंने देव सूर्य मंदिर का निर्माण किया. भगवान द्वारा सूर्य मंदिर निर्माण के बाद कई बार इसका जीर्णोद्धार भी किया गया है, लेकिन यह बात कहां तक सत्य है, इसपर संशय है, क्योंकि मंदिर के दीवार में लगी शिलापट्ट कुछ और ही बया करती है.
इससे पूर्व श्री रामभद्राचार्य जी महाराज हरिद्वार से वायुमार्ग देव पहुंचे और रानी तालाब के समीप बने यज्ञ स्थल के पंडाल में पहुचे. जहां करीब 20 हजार की संख्या में रहे श्रद्धालुओं ने उनके दर्शन किए एवं प्रवचन का श्रवण किया. श्री रामभद्राचार्य जैसे ही व्यास गद्दी पर विराजमान हुए वैसे ही पूरा देवनगरी जय श्रीराम के नारो से गूंज उठा.
प्रवचन के दौरान श्री रामभद्राचार्य ने कहा कि हम सूर्यनगरी देव एक मन्नत मांगने आये है. अगर भगवान भास्कर हमारी मन्नत को पूरी कर देंगे तो हम लगातार 9 दिन तक सूर्य नारायण का अनुष्ठान करेंगे और भगवान भस्कर से सम्बंधित प्रतिदिन 3 घण्टा प्रवचन भी करेंगे. उन्होंने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर जो कश्यप ऋषि की तपोभूमि रही है उसे पाकिस्तान से मुक्त करा दें. भगवान भास्कर के पिता कश्यप ऋषि हैं और एक पुत्र का यह कर्तव्य बनता है कि वह अपने पिता की भूमि को कब्जे से मुक्त कराए. जब इस बिन्दु पर पत्रकारों द्वारा यह पूछा गया कि भारत में जन्मे महापुरुष वसुधैव कुटुंबकम की बात करते हैं, वही संत रामभद्राचार्य जी महाराज द्वारा ऐसे वचन कहना कहां तक उचित है. इस पर कमेटी के सचिव ने बताया कि संत द्वारा कही गई कथन सत्य है. अगर ऐसा होता है तो वाकई में अनुष्ठान किया जाएगा.
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