औरंगाबाद/ Dinanath Mouar सत्संगति हमारे जीवन को निखारती है. शरीर की पुष्टि और इन्द्रियों की तृप्ति मानव जीवन का उद्देश्य नहीं हो सकता. शरीर का ध्यान रखना है, जितना आवश्यक है. शरीर को सबकुछ समझ कर आत्मकल्याण के मार्ग से दूर हो जाना ये श्रेष्ठ जीवन नहीं है. उक्त उद्गार स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक सुपूज्य संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने संकल्प यात्रा के क्रम में शहर स्थित अनुग्रह इंटर कॉलेज (गेट स्कूल) मैदान में आयोजित जय स्वर्वेद कथा एवं ध्यान साधना सत्र में उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं के मध्य व्यक्त किये.
महाराज जी ने कहा कि जिन्दगी जीने में ही जिन्दगी बीत जाती है, जीवन जीने में ही जीवन चला जाता है और ये जीवन है क्या, कौन हूं मैं इसका अनुभव नहीं हो पाता है. संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज ने जय स्वर्वेद कथा के दौरान कहा कि अध्यात्म का महाशास्त्र है स्वर्वेद. स्वर्वेद हमारी आध्यात्मिक यात्रा को सदैव जागृत रखता है. स्वर्वेद का आचरण मनुष्य को देवत्व में स्थापित कर देता है.
उन्होंने बताया कि भीतर की अनंत शक्ति का सच्चा ज्ञान स्वयं को जानने से होता है. आंतरिक शांति के अभाव से ही आज विश्व मे अशांति है. जब हम आत्म कल्याणकारी विचारों से अपने मन को भरते हैं तब हमारा मन शांत और स्थिर स्वभाव वाला बन जाता है. संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को विहंगम योग के क्रियात्मक योग साधना को सिखाया. कहा कि यह साधना खुद से खुद की दूरी मिटाने के लिए है.
संत प्रवर श्री विज्ञानदेव जी महाराज की दिव्यवाणी जय स्वर्वेद कथा के रूप में लगभग 2 घंटे तक प्रवाहित हुई. स्वर्वेद के दोहों की संगीतमय प्रस्तुति से सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे. दिव्यवाणी के पश्चात मुख्य आगंतुकों को संत प्रवर जी के हाथों स्वर्वेद महामंदिरधाम मोमेंटो, अंगवस्त्र, डायरी व प्रसाद भेंट किया गया.
कार्यक्रम सचिव पुरोहित आचार्य मयंक शास्त्री ने बताया कि विहंगम योग सन्त समाज के शताब्दी समारम्भ महोत्सव एवं 25000 कुण्डीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ के निमित्त संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज 17 जुलाई को संकल्प यात्रा का शुभारंभ कश्मीर की धरती से हो चुका है. संकल्प यात्रा कश्मीर , जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड , उड़ीसा, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल होते हुए बिहार के औरंगाबाद पहुंची है. बिहार प्रान्त में अगले 20 दिनों में 38 स्थानों पर संकल्प यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित है. बताया कि 17 एवं 18 दिसंबर 2023 को विशालतम ध्यान- साधना केंद्र स्वर्वेद महामंदिर, वाराणसी के पावन परिसर में 25000 कुंडीय स्वर्वेद ज्ञान महायज्ञ होना है. उसी निमित्त यह संकल्प यात्रा हो रही है जिससे अधिक से अधिक लोगों को पूरे भारत वर्ष में लाभ मिले.
इस शताब्दी समारम्भ महोत्सव में विहंगम योग के प्रणेता अनंत श्री सदगुरू सदाफल देव जी महाराज की 135 फिट से भी ऊंची प्रतिमा का भी शिलान्यास होगा.