औरंगाबाद/ Dinanath Mouar भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पंजाब के पूर्व विधायक आरपी सिंह ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने की तुलना सावरकर एवं गोडसे को सम्मान देने के समान कहे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. श्री सिंह ने सोमवार को औरंगाबाद में प्रेसवार्ता में कांग्रेस नेता के इस बयान की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता को यह पता होना चाहिए कि गीता प्रेस कांग्रेस के बनने से पहले 1860 में स्थापित हुई है.
उन्होंने कहा गीता प्रेस सिर्फ़ सनातम धर्म की किताबें भागवत गीता, रामायण, रामचरितमानस और अन्य ग्रंथ ही नही छापती बल्कि इस्लाम और उर्दू की किताबें भी छापती है. जयराम रमेश का गीता प्रेस को देखने का नजरिया गलत है. वें इसे किस चश्में से देखते है, ये वें जाने लेकिन उनका नजरियां बेहद गलत है. उन्हे पता होना चाहिए कि गीता प्रेस का नाम जिस भागवद् गीता को छापने कारण गीता प्रेस है, वह गीता कोई मजहबी ग्रंथ नही है. यह ग्रंथ किसी मजहब का नही बल्कि नीति का ग्रंथ है, जिसके प्रति लोगों में अगाध सम्मान है. इनका काम सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करना है. इन्हे मोदी विरोध के लिए किसी न किसी बहाने से मतलब है. ये कभी राम का नाम लेकर मोदी का विरोध करते है, अब गीता का नाम लेकर मोदी का विरोध कर रहे है. इनके पूरे बयान का मकसद भाजपा और मोदी का विरोध करना है. उन्होंने जयराम रमेश को नसीहत देते हुए कहा कि, गीता प्रेस से भागवत गीता की एक प्रति मंगाकर पढ़ ले. उनकी सारी भ्रांतिया दूर हो जाएंगी और अपने चश्में से देखने का उनका नजरिया भी बदल जाएगा.
राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि गीता प्रेम सिखाती है, वें उस प्रेम को सीखे. कहा कि कांग्रेस की तो यह पुरानी आदत है कि इसके लोग कभी खुद को हिंदुवादी कहने लगते है, कभी खुद को जनेउधारी ब्राम्हण बताते है. यह सब करते हुए कांग्रेस देश में हिन्दू और हिंदुत्व के नाम पर वैमनस्य फैलाने का काम करती है. यही काम जयराम रमेश गीता प्रेस और भागवत गीता का विरोध के बहाने कर रहे है.
Reporter for Industrial Area Adityapur