औरंगाबाद/ Dinanath Mouar : औरंगाबाद में एनटीपीसी और बीआरबीसीएल की मनमानी के ख़िलाफ़ स्थानीय लोगों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है. विद्युत परियोजना की इन दोनों कंपनियों के ख़िलाफ़ पहले नबीनगर विधानसभा के मेह पंचायत की जनता ने विरोध जताया था लेकिन अब यह विरोध मेह पंचायत के अलावा धमनी एवं आस-पास के पंचायत की जनता विरोध में खड़ी हो गई है. शनिवार को इस संबंध में स्थानीय ग्रामीणों ने विरोध में जमकर नारेबाज़ी की और मांगे पूरी करने की बात कहीं.
इसको लेकर समाजसेवी राधे प्रसाद यादव, बीडीसी सुनील गुप्ता, पैक्स अध्यक्ष मेह नारायण सिंह ने एक प्रेस वार्ता के बताया कि जब तक समस्याओं का समाधान नहीं होता है तब तक वोट बहिष्कार जारी रहेगा. प्रेस-वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि लोकतंत्र के इस महापर्व में वोट के महत्व को हम अच्छे से समझते हैं. वोट बहिष्कार का निर्णय लेना प्रशासनिक गतिविधियों में बाधा डालना नहीं है बल्कि हमारी मजबूरी है. बीते कई सालों से हमारी मांगे अधूरी है. वोट बहिष्कार तब तक जारी रहेगा तब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी.
उन्होंने कहा कि हमारी ये आठ मांगे कोई नई नहीं है बल्कि बीते कई साल से एनटीपीसी एवं बीआरबीसीएल सहित आला अधिकारियों से गुहार लगा रहे है. यदि विद्युत परियोजना एवं प्रशासनिक अधिकारियों को लगता है कि चुनाव के मद्देनजर हम लोगों ने यह वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है तो हमारी इन मांगों से संबधित दस्तावेज उनकी फ़ाइलों में कहीं धूल फांक रही होगी जिसे देखने पर मिल जायेगा.
ग्रामीणों का आरोप है कि उन लोगों ने एनटीपीसी एवं बीआरबीसीई को अपनी जमीन ये सोचकर दी थी कि यहां भी विकास होगा और उनकी समस्याओं का समाधान होगा. उनका दावा है कि एनटीपीसी एवं बीआरबीसील पावर प्लांट लगने के पहले गांव-गांव घूमकर टीवी के माध्यम से यह दिखाया गया था कि अगर यहां इन दोनों विद्युत प्लांट लग जाता है तो सड़क-गली-विद्युत-स्वास्थ्य-कॉलेज जैसी सुविधाएं मुफ्त में दी जाएगी. लेकिन आज तक ये सुविधाएं नसीब नहीं हुई. बल्कि अब उड़ती राख से वे परेशान हैं, आने वाले समय में श्वसन संबाधित बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं.
दरअसल ग्रामीणों की आठ मुख्य मांगे हैं जिसमें एनटीपीसी और बीआरबीसीएल परियोजना निर्माण के समय बिशुनपुर कैनाल के नहर को बंद कर दी गई है जिसे तत्काल प्रभाव से चालू किया जाए. परियोजना के द्वारा निकलने वाले जहरीले राख के प्रकोप से स्थानीय जन जीवन खतरे में है जिस पर अविलंब रोक लगाई जाए. विस्थापित किसानों को मुफ्त में बिजली दी जाए. विस्थापित प्रभावित सभी क्षेत्र की मजदूरों को 750 रूपये दिन की दैनिक मजदूरी भत्ता को भुगतान किया जाए. परियोजना के द्वारा सीएसआर स्कीम का निर्देश सार्वजनिक रूप से जारी किया जाना चाहिए.