औरंगाबाद/ Dinanath Mouar जिला एवं सत्र न्यायाधीश सम्पूर्णानन्द तिवारी द्वारा शनिवार को नये जेल का निरीक्षण किया गया. नये जेल के स्थानान्तरण के बाद जिला जज द्वारा यह प्रथम निरीक्षण है और निरीक्षण में जिला जज द्वारा मौजूद बुनियादी व्यवस्था को देखा गया तथा जेल के सुरक्षात्मक तथ्यों पर विशेष प्रकाश डाला गया.
विदित हो कि नये जेल भवन का स्थानान्तरण कुछ दिन पहले ही हुआ है जिसके परीधी में छायादार पौधारोपण पर विशेष प्रकाश डाला गया. जिला जज द्वारा जेल निरीक्षण के दौरान जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी सुकुल राम तथा जेल भ्रमण अधिवक्ता श्रीमती निवेदिता कुमारी, महेश प्रसाद सिंह भी मौजूद रहे.
निरीक्षण के दौरान मण्डल कारा में पदस्थापित जेल अधीक्षक सुजीत कुमार झा द्वारा सभी न्यायिक पदाधिकारियो को प्रत्येक सेल से अवगत कराया गया. जिला जज द्वारा कैदियों को कारा में हो रही समस्याओं का कैदियों के समक्ष ही तत्काल निदान करने का निर्देश जेल अधीक्षक को दिया गया. जिला जज ने बंदियों से यह अपील भी किया कि जितना हो सके जेल के वार्ड को साफ़ रखें ताकि आपका स्वास्थ्य अच्छा रहे. आप सभी कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में डालें और निजी सामानों जैसे कपडा और चप्पल इत्यादि तरीके से रखें ताकि जेल प्रशासन को जेल को सुंदर बनाने में सहयोग मिल सके.
उसके बाद जिला जज कारा अस्पताल गये वहां की व्यवस्था को देखा और इलाजरत बंदी से उनके स्वास्थ की जानकरी प्राप्त की. निरीक्षण के क्रम में जिला जज जेल के नवनिर्मित रसोई घर पहुंचे और बन रहे खाना की गुणवता को देखा. इस दौरान उन्होंने जेल प्रशासन को खाने की गुणवता को लेकर कई दिशा- निर्देश भी दिए. जिला विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा उपलब्ध कराये गये बैनर की जानकरी बंदियों को उपलब्ध कराया. वही पेरोल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कैदी के माता- पिता, पत्नी, पति, अथवा बच्चे की मृत्यु, कैदी के पुत्री की विवाह पर पेरोल पर छूटने (तीन दिन तक) आवेदन जेल अधीक्षक द्वारा जिला पदाधिकारी को अग्रसारित किया जायेगा और इसकी स्वीकृति जिला पदाधिकारी द्वारा दी जायेगी और इससे सम्बन्धित आवेदन को तैयार करने में जेल अधीक्षक सम्बन्धित सिद्धदोष बंदियों को सहायता करेगें. साथ ही तीन दिन से अधिक के पेरोल के लिए पेरोल बोर्ड को भेजा जायेगा.
निरिक्षण के क्रम में जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव प्रणव शंकर द्वारा जेल के वैसे कैदी जो प्रथम दृष्टया देखने से ऐसा प्रतीत हुआ कि उनकी उम्र 18 वर्ष से कम है उसको लेकर सचिव ने तत्काल कारा अधीक्षक को यह निर्देशित किया कि इनकी सूची सम्बन्धित न्यायालयों में उनकी आयु के सत्यापन हेतु प्रेषित करें, ताकि विधि अनुसार उनके मामलों पर कार्रवाई हो.