औरंगाबाद/ Dinanath Mouar बीपीएससी 67 वीं के परिणाम में दाउदनगर शहर की एक छात्रा सहित तीन छात्रों ने सफलता हासिल किया है. सफलता हासिल करने वालों में दाउदनगर शहर के बजाजा रोड वर्तमान औरंगाबाद रोड निवासी श्रेया कुमारी, नीमा निवासी गोपाल कुमार एवं शहर के सिनेमा हॉल के पास के निवासी रौशन कुमार शामिल हैं. इन तीनों की सफलता पर पूरा शहर गौरवांवित है.
सभी ने घर पर रहकर की तैयारी
भखरुआं औरंगाबाद रोड निवासी कपड़ा व्यवसायी भुवनेश्वर प्रसाद गुप्ता एवं बाजार समिति प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका बीना गुप्ता की की पुत्री श्रेया कुमारी को बीपीएससी में 631 रैंक प्राप्त हुआ है. उनका चयन ग्रामीण विकास पदाधिकारी के पद पर हुआ है. डीएवी पब्लिक स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण कर महिला कॉलेज दाउदनगर से 12वीं करने के बाद एनआईटी रायपुर से बीटेक किया. उसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी में लग गईं. वर्तमान में घर पर रहकर ही तैयारी कर रही थी. पहले प्रयास में ही उन्हें सफलता मिली. उन्होंने कहा कि एक ग्रामीण विकास पदाधिकारी के रूप में सरकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचाने का भरपूर प्रयास करेंगी.
धैर्य से मिलती है सफलता
दाउदनगर प्रखंड के नीमा निवासी अवकाश प्राप्त शिक्षक कमला प्रसाद शर्मा एवं गृहिणी शारदा देवी के पुत्र गोपाल कुमार को 258 वां रैंक प्राप्त हुआ है. इनका चयन नगर कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में हुआ है. चौथी कक्षा तक इन्होंने स्थानीय स्तर पर शिक्षा ग्रहण की. उसके बाद वे पटना में हॉस्टल में रहने लगे. आईआईटी निकाले. मैरीन इंजीनियरिंग भी किया. बीटेक भी किया. दो साल तक दिल्ली में सिविल इंजीनियर के रूप में नौकरी भी की. इसी दौरान सिविल सर्विसेज की तैयारी में भी लगे रहे और अब इनका चयन बीपीएससी 67वीं में नगर कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर हुआ है. इन्होंने सफलता का श्रेय अपने माता- पिता को देते हुए कहा कि सफलता प्राप्त रखने के लिए धैर्य रखना जरूरी है. नगरीय सेवा उनकी पसदींदा सेवा रही है और अब उन्हें अवसर भी प्राप्त हुआ है.
व्यवसायी पुत्र ने पाई सफलता
दाउदनगर शहर के सिनेमा हॉल के पास निवासी किराना व्यवसायी दीनानाथ प्रसाद एवं गृहणी कलावती देवी के पुत्र रोशन कुमार ने बीपीएससी में सफलता प्राप्त की है और इनका चयन नगर कार्यपालक पदाधिकारी के पद के लिए हुआ है. इनका रैंक 761 है. इन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई ज्ञान गंगा इंटर स्कूल में किया .12वीं विवेकानंद मिशन स्कूल से किया. उसके बाद इंजीनियरिंग की पढ़ाई इन्होंने की. घर पर रहकर तैयारी करते रहे और अब इन्हें सफलता प्राप्त हुई है. इन्होंने कहा कि नगर की सेवा इनकी दिली इच्छा रही है. शहर में पड़े कूड़े- कचरे को देखकर उनके मन में यह सवाल उठता रहता था कि आखिर कूड़ा- कचरा क्यों पड़ा हुआ है. अब जब वे नगर कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में योगदान देंगे तो सबसे पहले ध्यान शहर को साफ सुथरा रखने पर होगा.