रांची: आंबेडकराईट पार्टी ऑफ इंडिया (एपीआई) के रांची लोकसभा प्रत्याशी धीमान रामहरि गोप ने कहा कि जिनके लिए चुनावी मैदान पर डटे हुए हैं और उन्ही लोगों से आर्थिक सहयोग ना मिलने से कभी- कभी नाउम्मीदी घेर लेता है और हिम्मत हारने जैसा कगार पर पहुंच जाते हैं, यही जीवन का असली हिस्सा है. बहुत से लोग कभी अंदर से टूटते हैं, कभी मन से हारे भी है, कभी परमानेंट उदासी सी घेर लेता है लेकिन जब धरती आबा, बाबा साहब और मान्यवर जैसी हस्तियों के संघर्षो के बारे में सोचता हूं तो मन दुखी जरूर होता है लेकिन उदासी और नाउम्मीदी से बाहर निकल जाता हूँ.
बाबा साहब, जैसे लोगों से इंसपिरेसन मिलता है, ये आदिवासियों, दलितों, शोषितों, पिछड़ों, संसाधनहीन लोगों के लिए हार न मानने और अथक संघर्ष करने का संदेश देता है. उन्होंने आगे बताया कि अपने आदर्श चुनने में गलती न करें, जीवन के हर मोड़ पर आपके आदर्श आपको परिस्थितियों से लड़ने की ताकत देते हैं. संसाधनहीन समाज को अगर तरक्की करने की अगले हजार साल की नींव रखनी है तो वो छोटी सोच को त्यागे, छोटे- छोटे लालचों को त्यागे, बड़ी जंग के लिए मेंटली तैयार हो ये. आप दूसरो की हां मे हां मिलाने के लिए नहीं जन्मे हो. अपना खुद का मजबूत और तार्किक पक्ष बनिये, हो सकता है आपके अपने साथी या परिवार तक के लोग भी असहमत हो लेकिन आप अगर खुद को सही मानते हो तो अपने तर्क पर सुनी सुनाई बातों के कारण संदेह ना सके.आज का दौर ऐसा है कि लोग झूठ भी बड़ी मजबूती के साथ बोलने लगे है. नेताओ को तो कांफिडेंस के साथ झूठ बोलते हुए सुना था लेकिन अब तो जनता भी बेझिझक मुंह खोलते हैं. और आप सोचते हो कि आप बिना मूर्खताओ से बाहर आए कोई बड़ा बदलाव कर लोगे. अगर ऐसा सोचते हो तो नादान हो आप बल्कि उससे भी कम अकल हो आप. दूसरो की बारात में फोटो खिंचवाकर आप क्रांति लाने का सपना देख रहे हो, तो ठीक है, कोई पहले मूर्ख तो आप हो नही, वैसे अंतिम भी नही हो. विचार कीजिये, वैचारिकी की ताकत को समझिये. आज बाबा साहेब हमारे बीच नही होकर भी जिंदा हैं और बड़े- बड़े मंत्रियों तक का कोई नाम लेने वाला नही मिलता, यही विचारधारा की ताकत है.