जमशेदपुर: सीएम हेमंत सोरेन और झामुमो नेताओं के खिलाफ आदिवासी सेंगेल अभियान हमलावर है. अभियान लगातार राज्य सरकार पर राज्य के आदिवासियों को छलने और यहां के प्राकृतिक संसाधनों को लूटने का आरोप लगाया है. सोमवार को केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर जमशेदपुर में मशाल जुलूस निकालकर विरोध- प्रदर्शन किया गया.
इस संबंध में आदिवासी सेंगल अभियान के केंद्रीय संयोजक भीमो मुर्मू ने बताया कि पहले 1993 में झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन ने झारखंडियों के जल- जंगल और जमीन का सौदा किया और अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पारसनाथ पहाड़ी को जैनियों का तीर्थ घोषित कर यहां के आदिवासियों के इष्ट मरांग बुरू का सौदा कर दिया है. इतना ही है दोनों पिता- पुत्र के इशारे पर झामुमो नेता आदिवासियों पर जुल्म ढाह रहे हैं.
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पिछले दिनों संताल परगना के तालझारी में आदिवासियों पर बर्बरता पूर्वक लाठी चार्ज करवाया गया. और मुख्यमंत्री सहित तमाम झारखंड नामधारी नेता चुप रहे. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अब झारखंड को कुडमियों के हाथों बेचने का काम कर रहे हैं. उन्होंने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति को एक छलावा बताया. उन्होंने खतियानी जोहार यात्रा के नाम पर सीएम पर राज्य की जनता को ठगने का आरोप लगाया है.
बता दें कि साकची आमबागान मौदान से यह मशाल जुलूस निकाला गया जो साकची के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए जिला मुख्यालय पहुंच प्रदर्शन में तब्दील हो गया. जहां राज्यपाल के नाम इन्होंने ज्ञापन सौंपते हुए पारसनाथ पहाड़ी सहित राज्य के सभी पर्वतों पहाड़ियों को आदिवासियों को सौंपने, पारंपरिक पूजा- पाठ करने की अनुमति देने और 2023 के जनगणना में सरना कोड लागू करने की मांग की. साथ ही उन्होंने 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति बिल वापस किए जाने का समर्थन किया.
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भीमो मुर्मू (केंद्रीय संयोजक)