आदित्यपुर: निवासी दीपक सिंह के पुत्री के जन्मदिन पर स्वामी श्रद्धा नंद आश्रम ट्रस्ट बख्तियारपुर बिहार से पधारे यथार्थ गीता के रचयिता स्वामी अड़गड़ानंद महाराज के परम भक्त यथार्थ गीता प्रचारक श्रद्धा नंद जी महाराज ने भक्तों के बीच अपने प्रवचन में धर्म परिवर्तन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि- हिन्दू धर्म
90 हजार वर्ष पुराना है, हिन्दू धर्म 9057 ईसा पूर्व स्वायंभुव मनु से उत्पन्न हुआ उससे पहले कुछ भी नहीं था. महाराज जी ने धर्म की परिभाषा देते हुए बताया कि समाज में व्यक्ति जीवन के प्रति जो धारणा बनाता है या धारण करता है वही धर्म है.
धर्म संस्कृत के “धृ” शब्द से बना है जिसका अर्थ ही धारण होता है. धर्म एक प्रकार से कर्तव्य द्वारा कुछ समाजोपयोगी तथा आत्मोपयोगी बातों या गुणों को धारण करना भी कहा जा सकता है.
आज हर तरफ धर्म परिवर्तन कि लहर दौड़ रही है जिसके कारण तेजी से धर्मांतरण हो रहा है यह क्यों हो रहा है इस पर अभी तक कोई विचार- विमर्श नहीं किया गया. आज समाज में भ्रांतियां फैलाई जा रही है कि समाज अशिक्षित और बेरोज़गार होने के कारण लोग तेजी से धर्मांतरण कर रहे हैं. इस पर महाराज जी ने व्याख्या करते कहा कि – नहीं, अशिक्षा और गरीबी कारण नहीं हो सकता है क्योंकि भारत मे आज भी सबसे ज्यादा शिक्षित केरल है और सबसे ज्यादा वहां धर्म परिवर्तन हो रहा है और गरीब हर वर्ग में है ईसाई मे भी सीख में भी, मुस्लिम में भी तो वो लोग क्यों नहीं धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. यथार्थ गीता में परम पूज्य स्वामी अड़गड़ानंद महाराज जी लिखते है कि हमारे देश में कोई भी धर्म बाहर से नहीं आया है. केवल जूठा पानी और जूठा खाने से धर्म परिवर्तन हो गया ऐसा नहीं. स्वामी जी लिखते है कि धर्म परिवर्तन लोगों के धार्मिक या राजनीतिक विश्वासों को परिवर्तित करने के प्रयास की नीति ही धर्म परिवर्तन है. इसे साधारण भाषा में विश्वास जगाने के प्रयास को धर्मांतरण कहा जा सकता है.
महाराज जी अपने प्रवचन में बताते हैं कि लोग विभिन्न कारणों से अलग अलग धर्म अपनाते हैं जिसमें मन का विश्वास कमजोर होना मुख्य कारण है. ऐसे तो लोग सुख- सुविधा के लिए, मन चाहा वैवाहिक जीवन बिताने के लिए भी लोग धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. कही- कही तो जबरन धर्मांतरण भी कराया जा रहा है. धर्मांतरण भारत के अलावा नेपाल, माॅरिशस, सूरीनाम, फिजी में भी हो रहे हैं.