आदित्यपुर: थाना रोड पर चलना आम राहगीरों के लिए दुश्वार हो चुका है. इसमें किसी एक को दोषी ठहराना गलत होगा. स्थानीय थाना, ट्रैफिक पुलिस, नगर निगम, पीएचडी कार्यालय, वन विभाग, बिजली विभाग, शहरी स्वास्थ्य केंद्र और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि की भूमिका कटघरे में हैं. आपको बता दें कि शायद ही कोई ऐसा विभाग है जिसके कर्मचारी और वहां पहुंचने वाले लोग थाना रोड में लगने वाले जाम से परेशान नहीं हों, मगर सवाल यह उठता है कि आखिर इसकी सुध लेगा कौन ?
बता दें कि थाना रोड में लगने वाले फुटपाथी दुकानदारों से हर दिन महसूल की वसूली होती है. महसूल का पैसा कहां जमा होता है यह जांच का विषय है, जबकि पूरे राज्य में कृषि उत्पादन बाजार समिति भंग है. कृषि उत्पादन बाजार समिति गम्हरिया के पदाधिकारी का कहना है कि साफ- सफाई और मेंटेनेंस के एवज में सहकारी समिति द्वारा वसूली की जाती है मगर यह क्षेत्र नगर निगम के अधीन आता है और यहां साफ- सफाई नगर निगम करती है. नगर निगम के अधिकारी मामले पर मौन है.
पर्व- त्यौहार के मौके पर 1500 से 2 हजार प्रति दुकान होती है वसूली
बता दें कि पर्व- त्यौहार के मौके पर यहां अवैध रूप से दुकानें सजती हैं. 1500 से 2 हजार प्रति दुकान वसूले जाते हैं. यह पैसा किसके जेब में जाता है इसकी भी जांच होनी चाहिए. मगर जांच करेगा कौन ? औसतन डेढ़ सौ छोटी बड़ी दुकानें यहां सजती हैं. औसतन दो से ढाई लाख रुपए की अवैध वसूली इस बाजार में होती है. इसका हिस्सा कहां तक पहुंचता है इसकी भी जांच होनी चाहिए. भगवान ना करें बाजार में कभी कोई हादसा हो गया तो फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी मौके पर नहीं पहुंच सकेगी. फायर सेफ्टी विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं.
साजिश के तहत छपवाई जाती है भ्रामक खबर
मालूम हो कि पर्व त्योहार से पूर्व अखबारों में तथा कथित जनप्रतिनिधियों द्वारा बाजार को लेकर भ्रामक खबरें छपाई जाती है जिसके बाद भोले- भाले दुकानदारों से रिस्क फैक्टर बढ़कर मोटी रकम वसूली जाती है. उधर दिहाड़ी सब्जी विक्रेताओं से हर दिन 20 से 30 रुपए की अवैध उगाही होती है जो अलग है. यहां ना बाजार शुल्क निर्धारित है ना ही कोई मॉनिटरिंग अथॉरिटी पैसा किसकी जेब में जा रहा है यह पूछने वाला कोई नहीं. अंदरखाने की मानें तो वसूली करने वाले सफेदपोश की पहुंच ऊपर तक है, जिसे किसी भी अधिकारी को मैनेज करने में महारत हासिल है.