आदित्यपुर: एस टाईप फुटबॉल मैदान में रविवार को बाहा पर्व का आयोजन किया गया. इसका आयोजन सरना महासभा की ओर से किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन शामिल हुए. जहां महासभा की ओर से शिक्षा मंत्री का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया गया.

अपने संबोधन में मंत्री ने राज्य के लोगों को बाहा पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आदिवासी- मूलवासियों की पहचान उनके पर्व- त्यौहार हैं जो प्रकृति से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि इस पर्व के जरिये आदिवासी समाज प्रकृति संरक्षण का संकल्प लेता है. इस पर्व के बाद ही नया फल ग्रहण किया जाता है. इतने बड़े पैमाने पर यहां समाज के लोगों का जुटान हुआ है मगर न मजिस्ट्रेट न सुरक्षा के लिए कोई खास प्रबंधन किया गया है. हमारे रूढ़िवादी परंपरा के अनुसार सबकुछ शांति पूर्ण तरीके से संपन्न होता है.
राज्य में शिक्षा विभाग की दुर्दशा बीजेपी की देन: मंत्री
वहीं राज्य में शिक्षकों की बहाली के सवाल पर मंत्री ने पूर्व की भाजपा सरकार को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी द्वारा लाया गया डोमेसाइल नीति यदि लागू कर दिया गया होता तो आज शिक्षा विभाग की ये दुर्दशा नहीं होती. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने 1932 खतियान आधारित नियोजन नीति का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है मगर केंद्र सरकार उसे लटकाकर रखी है. इधर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य में 25 हजार शिक्षकों की बहाली का निर्देश दिया गया है जिसमें दस हजार जनजातीय भाषा के शिक्षकों की बहाली की जाएगी. उन्होंने कहा कि जैसे ही नियोजन नीति लागू होगा हमारी सरकार अगले दिन से ही शिक्षक बहाली की प्रक्रिया में जुट जाएगी.
बाहा पर्व हमारी सांस्कृतिक धरोहर: डब्बा
आदिवासी सरना महासभा के भुगलु सोरेन उर्फ डब्बा सोरेन ने बाहा पर्व को आदिवासी समुदाय का सांस्कृतिक धरोहर बताया और कहा आज की पीढ़ी इसका भलीभांति संरक्षण कर रही है. प्रकृति को समर्पित इस पर्व के जरिये हमारी पहचान है. उन्होंने कहा कि इस पर्व से हमें कई संदेश मिलता है ताकि हम अपने जल- जंगल और जमीन की रक्षा कर सकें.
