आदित्यपुर: नगर निगम के वार्ड- 17 में निर्माणाधीन सहारा सनराईज प्रोजेक्ट द्वारा किए गए फर्जीवाड़े की खबर पर संभवतः बुधवार को मुहर लग सकती है. सूत्रों की मानें तो बुधवार को अंचल प्रशासन खाता संख्या 90 के प्लॉट संख्या 1385 और 1386 की जांच कर सकती है. साथ ही खाता संख्या 308, प्लॉट संख्या 1389 (अनाबाद बिहार सरकार) की जमीन पर सोसायटी के निर्माणधीन गेट की जांच कर सकती है.


*एडीसी के आदेश पर जांच*
विदित हो कि बिल्डर सह समाजसेवी द्वारा उपायुक्त कोर्ट में उनके साथ हुए फर्जीवाड़े की शिकायत की गई है. डीसी ने डीसी एलआर को शोकॉज करते हुए एडीसी को जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. डीसी कोर्ट में अगली सुनवाई 20 जून को है.
*कहीं पूर्व की तरह ही न हो खानापूर्ति*
मालूम हो कि बीते 30 सितंबर को तीसरी बार जमीन का सीमांकन और चिन्हितिकरण का काम एसडीओ के आदेश से संपन्न कराया गया था. लेकिन बिल्डर के प्रभाव में बीते 30 सितंबर को हुए सीमांकन और चिन्हितिकरण के कार्य को अंचल कार्यालय ने अधूरा कार्रवाई बताकर अनुमंडलाधिकारी को रिपोर्ट किया. यह कार्रवाई तत्कालीन अंचलाधिकारी कमल किशोर और आदित्यपुर थानेदार राजीव सिंह की देखरेख में संपन्न कराया गया था. सीमांकन का कार्य भी नाटकीय रहा था. सुबह 10 बजे प्रतिनियुक्त पुलिस बल के साथ पहुंची अंचल की टीम द्वारा कागजात की जांच और बिल्डर की बातो को सुनते हुए शाम कर दिया गया. शाम छ: बजे से मापी का काम शुरू किया गया था. जिसे नौ बजे रात में संपन्न कराने के उपरांत पुलिस और अंचल की टीम वापस लौटी. सूत्र बताते है कि जिस कर्मचारी को इस सीमांकन और चिन्हितिकरण का रिपोर्ट बनाना था उसे उपर से दबाब होने का हवाला देते हुए इसे अंधेरा होने के कारण कार्रवाई अधूरा रहने की रिपोर्ट बनाने को लेकर दबाव बनाया गया. जिसके बाद तत्तकालीन कर्मचारी द्वारा पहले बनाये गये रिपोर्ट को बदलना पड़ा था. सीमांकन की इस कार्रवाई के कुछ दिनों बाद बिल्डर द्वारा अंचल की टीम द्वारा गाड़े गये सीमेंट के पोल को हटा दिया गया. वहीं उक्त विवादित जमीन को मिट्टी से भर दिया गया था.
अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इसबार अंचल प्रशासन फिर से खानापूर्ति करती है या सरकारी मशीनरी द्वारा डेवलपर के साथ मिलकर किए गए फर्जीवाड़े का खुलासा करती है. हालांकि अंचल कार्यालय द्वारा अपने पूर्व के दिए रिपोर्ट में सही रिपोर्ट दिया गया है. सूत्र बताते हैं कि मोटी रकम लेकर भूमि सुधार उप समाहर्ता द्वारा बदल दिया गया है. इतना ही नहीं निबंधन कार्यालय से भी डीड से जरूरी पेज गायब कर दिए गए है. इधर नगर निगम ने दो कदम आगे बढ़कर नक्शा पास कर दिया. उसके बाद समय सीमा बीत जाने के बाद बगैर रेरा के नियमावली का पालन किये एक साल का अतिरिक्त एक्सटेंशन दे दिया गया. इसमें भी बड़ी डील हुई है. नगर निगम के प्रशासक ने डीसी कोर्ट में मामला लंबित होने के बाद भी डेवलपर को एक्सटेंशन दे दिया और एसडीओ के आदेशों को भी दरकिनार कर दिया.
